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________________ वर्णी-अभिनन्दन-ग्रन्थ ___ गौतमके उत्तरोंसे प्रसन्न होकर केशी भी अपने प्राचीन मतका मोह छोड़कर महावीरका पक्का अनुयायी बन जाता है । जैनमतके इस प्राचीन वृत्तकी जानकारीके लिए यह अध्ययन अत्यन्त उपकारक है । पचीसवें अध्ययनमें ब्राह्मणत्वकी बड़ी ही सुन्दर व्याख्या है । यज्ञ करनेवाले ब्राह्मण विजयघोष तथा जनमतावलम्बी साधु जयघोष के बीच वेद तथा यज्ञके रहस्यके विषयमें उपादेय प्रश्नोत्तर है। साधु जी बाहरी कर्म काण्डको अनादरकी दृष्टि से देखते थे। इन्होंने अपने मतका प्रतिपादन अनेक गाथाओं के द्वारा किया-- अग्गिहुत्तमुहा वेया जन्नट्ठी वेयसा मुहं । नक्खत्ताण मुहं चन्दो धम्माण कासवो मुह ॥ १६॥ 'वेदका मुख्य विषय अग्निहोत्र है; यज्ञका प्रधान विषय उसका तात्पर्य है, नक्षत्रोंका मुख चन्द्रमा है और धर्मों में मुख्य काश्पय (ऋषभ ) का धर्म है अर्थात् धम्मों में जैनमत ही श्रेष्ठ है।' ब्राह्मणके सच्चे स्वरूपकी जो व्याख्या यहां की गयी है, वह महाभारत, धम्मपद तथा सुत्तनिपातके साथ मेल खाती है | महाभारतमें अनेक स्थलोंपर ब्राह्मणत्वकी विशद व्याख्या है। वही विषय धम्मपदके 'ब्राह्मण वर्ग' में तथा सुत्तनिपातके 'ब्राह्मणधर्मिक सुत्त' में बड़ी सुन्दरतासे प्रतिपादित है । अर्थ साम्यके साथ ही साथ पद-साम्य भी अनेक स्थानों पर आश्चर्य जनक है। यह अंश अत्यन्त प्राचीनता की तथा साहित्यिक सौन्दर्यकी दृष्टि से नितान्त गौरवपूर्ण है। ब्राह्मण सत्यका सच्चा उपासक होता है न जटाहि न गोत्तेहि न जच्चा होति ब्राह्मणो।। यम्हि सच्चञ्च धम्मो च सो सुची सोच ब्राह्मणो ॥२४॥ धम्मपद कोहा वा जइ वा हासा लोहा वा जइ वा भया। मुसं न वयई जोउ तं वयं बूम माहणं ॥२५॥ जिस प्रकार जलमें उत्पन्न होने पर भी कमल जलसे लिप्त नहीं रहता, उसी प्रकार ब्राह्मण भी काममें अलित रहता है जहां पोमं जले जायं नोवलिप्पइ वारिणा । एवं अलि कामेहिं तं वयं बूम माहणं ॥२७॥ यह उपमा धम्मपदमें भी प्रयुक्त हुई है (वारि पोक्खर पत्तेव) ब्राह्मण तथा तपस्वीकी पहिचान भीतरी गुणों से होती है, बाहरी गुणोंसे नहीं । श्रमणकी पहचान समता है, ब्राह्मणको ब्रह्मचर्य, मुनिकी ज्ञान और तापसकी तपस्या । समयाए समणो होइ बम्भचेरेण बम्मणो । नाणेण च मुणी होइ टवेण होइ तापसो ॥३१॥
SR No.012085
Book TitleVarni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKhushalchandra Gorawala
PublisherVarni Hirak Jayanti Mahotsav Samiti
Publication Year1950
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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