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________________ सार्द्धद्विसहस्राब्दिक-वीर-शासन श्री कामताप्रसाद जैन, डी० एल०, एम० आर० ए० एस० ___ 'जैनं जयतु शासनम्' वाक्यसे लक्षित वीर ( जिन ) शासनकी पताकाको फहराते हुए ढाई हजार वर्ष पूर्ण हो गये हैं। जैन शासन आज भी भारत भूमिमें प्रकाशमान है, यह कम गौरवकी बात नहीं है । यह गौरव जैन शासनकी अहिंसा मूलकताका सुपरिणाम है । अहिंसा-संस्कृति जैन शासनका जीवन है और इसीसे उसका अस्तित्व सत्य, शिव तथा सुन्दर है । 'अाज जैन शासन सर्वाङ्गीण एवं सर्वतोभद्र नहीं रहा है ? ठीक है । बाह्यविकारसे कोई भी संसारी बचा नहीं है-जीवन परिवर्तनशील है-स्वभावपर विभावकी विजय होती देखी जाती है ! अतः श्राज यदि वीर प्रभुका जिन शासन सारे लोकमें स्थूल दृष्टिसे विजयो नहीं दिखता तो इसमें अटपटापन क्या है ? उन्नति और अवनति स्थूल जगतके दो सहज रूप हैं । वीर शासन इन दोनों रूपोंके झूलेमें झूलता आया है ! सूक्ष्म दृष्टि से देखिये जिन शासन भाव-रूपेण सारे लोकमें सदा जयशील रहा है और रहे गा ! 'वत्थु सहावो धम्मो' के वैज्ञानिक सिद्धान्त के कारण ही सदा सब स्थानोंपर प्रधानपद पाता रहे गा । जैनधर्म भारतसे वाहर नहीं गया ? ढाई हजार वर्षों के इस लम्बे अन्तरालमें वीरशासनकी कतिपय मुख्य घटनाओंका उल्लेख करना ही यहां अभीष्ट है ! जैन शासन धर्मप्रधान रहा है । हां, यह बात अवश्य है कि उसका धर्मक्षेत्र केवल कर्म काण्डमें सीमित नहीं रहा ! फलतः उसकी मर्यादाको मानने वाले केवल धार्मिक गृहस्थ ही नहीं, बड़े-बड़े शासक और योद्धा व्यक्ति एवं जन समूह रहे हैं । इस लिए जैनशासन धर्म, समाज और राजनीतिको हमेशा अनुप्राणित करता आया है। अजैन और पाश्चात्य विद्वानोंने जो अन्वेषण किये हैं वे श्लाघनीय हैं, परंतु निर्धान्त नहीं कहे जा सकते । उनको यह धारणा है कि जैनधर्म भारतके बाहर गया हो नहीं । जैन एवं बौद्ध मूर्तियोंके सूक्ष्म अन्तरको समझ लेना आसान नहीं है। कुछ विद्वान तो सर विलियम जोन्सके जमानेकी तरह आज भी जैन और बौद्धको एक समझनेकी भ्रान्ति कर रहे हैं। इसीलिए हाथी गुंफाका शिलालेख-मथुराका जैनस्तूप, आदि बौद्ध अनुमान किये जाते रहे। आज यह भ्रान्ति दूर हो गयी है और विद्वन्मंडली जैन और बौद्ध दो स्वतंत्र मतोंको मानने लगी है; परन्तु यह भ्रान्ति अब भी २९२
SR No.012085
Book TitleVarni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKhushalchandra Gorawala
PublisherVarni Hirak Jayanti Mahotsav Samiti
Publication Year1950
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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