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करते हैं अभिनंदन
पं. शिखरचंद्र जैन 'साहित्याचार्य आदिनाथ से महावीर तक, चौबीसों जिनवर वंदन। सरस्वती पुत्र श्री शेखरजी का, करते हैं हम अभिनंदन॥ भूमि अहमदाबाद धन्य है, शेखरचन्द्र ने जन्म लिया। पन्ना-जयश्री देवी हर्षित, गौरव सुत प्रसूत हुआ। कष्टकंटकों में है जिनका, जीवन सुमन खिला करता। गौरव-गंध उन्हें ही उतना, निशिवासर विकसित करता॥ ऐसे गौरव गरिमा मंडित, सरस्वती पुत्र से हर्षित मन। सरस्वती पुत्र श्री शेखरजीका, करते हैं हम अभिनंदन॥ लघुता-प्रभुता विद्या सेवा, शिक्षक-प्राध्यापक स्तर। चहुंमुखी प्रतिभा विकसित की, गरिमामय है उच्च शिखर॥ लेखन प्रवचन चुम्बक शैली, आकर्षण और प्रकर्षण। सहज-सौम्य व्यवहार है जिनमें, अभिमत जिनवाणी घर्षण॥ निर्देशन काव्य गठन प्रभुता का, आशीष ज्ञानमति वन्दन। सरस्वती पुत्र श्रीशेखरजी का, करते हैं हम अभिनंदन॥ णमोकार मंत्र साधना, देश-विदेशी क्षेत्र चयन । जाति भेद संकीर्ण न है मन, सबसे मृदुतातर है मन॥ सम्पादन-लेखन मन हर्षित, चहुँमुखी प्रतिभा रत रह। सादा जीवन उच्च विचारों की, धारा में हर्षित रह । बहुआयामी गुण मंडित है, जम्बूद्वीप से हर्षित मन। सरस्वती पुत्र श्री शेखरजी का, करते हैं हम अभिनंदन॥ श्रेष्ठी-राजगण-विद्वत-मंडल के, नक्षत्र सौरभ तारे। सभी सनेही शुभचिंतनमय, रोगीजन के दुख निखारे ॥ आशापरा-साधना कर्मठ, ध्येय एक सेवा नरधारी। देवशास्त्र गुरु भक्ति धारे, सेवामय नित उपमाधारी॥ तमसावृतयामिनी हरती, शशिमय हर्षित मन चंदन। सरस्वती पुत्र श्री शेखरजी का, करते हैं हम अभिनंदन॥ सहजानंद-ज्ञानमति महिमा, वर्णी-गणिनी हर्षित मन। मुनिजन बुधजन सेवारत रह, जिनवाणी गुरुता वंदन॥ वंदनीयजन होता जग में, प्रतिभा अर्पित हो सुयश वचन। बहुआयामी गुण से मंडित हो, सका आज यह विद्वज्जन्॥ सुखी और नीरोग रहें नित, शिखर कामना हर्षित मन। सरस्वती पुत्र श्री शेखरजी का, करते हैं हम अभिनंदन॥