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| 434 । 3. सर्वार्थसिद्धि 1/4 आत्मकर्मणोरन्योऽन्य प्रवेशानुप्रवेशात्मको बन्धः
4 षट् दर्शन समुच्चय (गुणरत्न टीका) 51/230 पृ.सं. 276 ज्ञानपीठ
5. प्रवचनसार 2/83 । 6. सर्वार्थ सिद्धि 1/4 । 7. तत्त्वार्थसूत्र 8/4 प्रकृतिस्थित्यनुभव प्रदेशास्तद्विधयः।
8. तत्त्वार्थ वार्तिक 8/3, 8/10 तथा सर्वार्थसिद्धि तत्र योग निमित्तौ प्रकृति प्रदेशो। कषाय निमित्तौ स्थित्यनुभवौ॥
9. सर्वार्थसिद्धि 8/3 प्रकृतिः स्वभावो। | 10. तत्त्वार्थसूत्र 8/5 आयोज्ञानदर्शनावरण वेदनीय मोहनीयायुर्नाम गोत्रान्तरायाः। | 11. तत्त्वार्थसूत्र 8/5 की व्याख्या- सुखलाल संघवी
12. तत्वार्थसूत्र 8/6 से 8/14 तक 1 13. तत्त्वार्थसूत्र 8/25 नाम प्रत्यया सर्वतोयोगविशेषात सूक्ष्मैकक्षेत्रावगाहस्थिताः
सर्वत्मप्रदेशेस्वनन्तानन्त प्रदेशाः। 14. तत्त्वार्थवार्तिक, 6/13/3
15. तत्त्वार्थसूत्र- 8/22, विपाकोऽनुभावः। ___16. सर्वार्थसिद्धि - 8/3 17. तत्त्वार्थसूत्र-8/23, स यथानाम॥ 18. वही 5/6, सकषायाकषाययोः साम्परायिकेर्यापथयोः। 19. वही 8/1, मिथ्यादर्शनाविरति प्रमाद कषाय योगा बन्धहेतवः। 20. सर्वार्थसिद्धि 8/1, पंचविधं मिथ्यादर्शनम्, एकांतमिथ्यादर्शनं विपरीतमिथ्यादर्शनम्, संशय
मिथ्यादर्शनं वैनयिकमिथ्यादर्शनं, अज्ञानमिथ्यादर्शनं चेति। 21. वही 6/4 22. तत्त्वार्थसूत्र 6/1, कायवाङ्मनः कर्म योगः॥ सर्वार्थसिद्धि 2126 23. त.सू. 6/3-4, शुभः पुण्यस्य। अशुभः पापस्य। 24. सांख्य प्रवचन भाष्य- 1/19 25. सांख्य प्रवचन भाष्य,- न नित्यशुद्धबुद्धमुक्त स्वभावस्य तद्योगस्तद्योगाद्वते। 26. सांख्य कारिका, का.44 27. योगसूत्र- 1/8, विपर्ययो मिथ्याज्ञानम्। 28. जयमंगला- अशक्तिर्ज्ञानाधिगमा सामर्थ्य सत्यामधि जिज्ञासायाम्। 29. वही, तुष्टिमोक्षोपायेषु वैमुख्यम्। 30. सांख्य संग्रह- इत्योषस्ति विधो बन्धः।