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________________ सवीराचार्य घन, घनमूल व्युत्कलित गणित आदि, सभी उदाहरण सहित हैं। तृतीय अधिकार - कलास वर्ण व्यवहार- इसमें शामिल है भिन्न, प्रत्युत्पन्न भिन्न भिन्न भागहार, भिन्नों के वर्ग, वर्गमूल, घन, घनमूल, भागाभाग जाति, भागानुबन्ध जाति । चतुर्थ अधिकार प्रकीर्ण व्यवहार - यह अध्याय, भाग और शेष जाति, मूल जाति, शेषमूल जाति के प्रकार और उपयोग को समर्पित हैं। पंचम अधिकार - त्रैराशिक व्यवहार संज्ञक - इसमें अनुक्रम त्रैराशिक, व्यस्त त्रैराशिक, पंचराशिक सप्तराशिक 1 एवम् क्रय विक्रय गणित वर्णित है। षष्ठ अधिकार - मिश्रक व्यवहार - यह संक्रमण, कहीकार एवम् उसके प्रकार, श्रेणीबद्ध संकलित गणित से सम्बन्धित है। सप्तम अधिकार - क्षेत्र व्यवहार - यह अधिकार क्षेत्रफल गणित को स्पष्ट करता है। अष्टम अधिकार - श्वात व्यवहार - इसमें सूक्ष्म गणित, चितंगणित क्रचिका व्यवहार गणित सम्बन्धित है। नवम अधिकार-व्यवहार संज्ञक इसमें छाया सम्बन्धी विभिन्न प्रकार के गणितों का उदाहरण सहित वर्णन है। महावीराचार्य ने मूलघन, व्याज, समय मिश्रघन निकालने के सूत्र प्रतिपादित किये, वह है यहां स= मूलधन, म = मिश्रधन, ट= समय, ई = ब्याज है । सूत्र है- १ (i) स= म १ + ई × ट x ई ट + स म x ई ट + स (iii) आ = अनेक प्रकार के मूलधन (ii) स= २ - आ = (ii) म े - (i) स = म स X ट ई+स स X ट +9 +9 म = आ + ट × ४ x आ + - म म = स+ ट 389 स, ट, x म ट, X ट, + स2 X ट2 + स ु X ट + = आ,
SR No.012084
Book TitleShekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
PublisherShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publication Year2007
Total Pages580
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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