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पाक अध्ययन या
3871 । 6. प्राकृत के शिलालेखों का सानुवाद संग्रह-संकलन एवं प्रकाशन।
7. प्राकृत कथाकोश एवं अपभ्रंश कथाकोश ग्रन्थों का निर्माण।
8. प्राकृत भाषाओं के बृहत् व्याकरण ग्रन्थ का निर्माण। ! 9. प्राकृत बृहत् शब्दकोश का निर्माण एवं प्रकाशन।
10. जैनविद्या पर अद्यावधि प्रकाशित शोध-लेखों का सूचीकरण।
11. प्राकृत कवि-दर्पण नामक कृति में प्रमुख प्राकृत कृतिकारों के व्यक्तित्व एवं योगदान का प्रकाशन। | 12. प्राकृत एवं भारतीय भाषाएं नामक पुस्तक का लेखन एवं प्रकाशन। | 13. प्राकृत गाथाओं के गायन एवं संगीत पक्ष को उजागर करने के लिए प्राकृत गाथाओं के कैसेट तैयार .
करना। 14. प्राकृत कम्प्यूटर फीडिंग एवं प्राकृत लेंग्युएज लैब की राष्ट्रीय स्तर पर स्थापना एवं संचालन। 15. विश्वविद्यालयों में जैनविद्या एवं प्राकृत शोध विभागों की स्थापना एवं स्थापित विभागों में पर्याप्त
प्राध्यापकों की नियुक्तियां। 1 16. जैनविद्या एवं प्राकृत के विभिन्न स्तरों के शिक्षण एवं शोधकार्य के लिए पर्याप्त छात्रवृत्तियों एवं शोधवृत्तियों
की सुविधा प्रदान करना। 17. प्रतिवर्ष कम से कम दो प्राकृत संगोष्ठियों की सुविधा प्रदान करना। 18. प्राकृत अध्ययन की स्तरीय पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशन में सहयोग। 19. प्रति वर्ष प्राकृत-अपभ्रंश की कम से कम पांच नयी कृतियों का सम्पादन- प्रकाशन। 20. प्रतिवर्ष प्राकृत- अपभ्रंश एवं जैनविद्या के समर्पित विद्वानों का राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान। 21. विदेशों में सम्पन्न प्राकृत-अपभ्रंश जैनविद्या के कार्यों में सहयोग प्रदान करना एवं उन कार्यों का सारसंक्षेप हिन्दी-अंग्रेजी में भारत में उपलब्ध कराना। प्राकृत अध्ययन के इन प्रस्तावित कार्यों में संशोधन परिवर्द्धन स्वागत योग्य है। 21वीं सदी के इन 21 कार्यों को यदि वर्तमान में स्थिर संस्थाएं एवं विद्वान् एक-एक कार्य भी अपने जुम्मे ले लें तो न केवल उनका जीवन, अपितु उनकी सन्तति-परम्परा का जीवन भी धन्य हो जायेगा।