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वर्तमान युग में मनुष्य भौतिकता की अंधाधुंध दौड़ में डॉ. शेखरचन्द्र जैन हमारे समाज के जाने-माने और स्वार्थ में दौड़ रहा है। लेकिन ऐसे समय कुछ लोग साधुवाद के पात्र होते हैं, अभिनंदन के योग्य होते हैं जिससे भावी पीढ़ी को मार्गदर्शन प्राप्त हो ।
उच्चस्तरीय विद्वान हैं।
हमारा उनसे करीब २५ वर्ष से संबंध रहा है। उनकी बहुमुखी प्रतिभा में विशिष्ट विद्वत्ता, प्रभावशाली वकृत्व, धर्मसभाओं का संयोजन, उदार जीवनद्रष्टिकोण, निर्भीक पत्रकारत्व और मानवसेवा के प्रति जागरूकता आदि मुख्य
हैं।
ऐसे भव्य प्राणियों में डॉ. शेखरचन्द्र जैनने साधारण परिवार में जन्म लेने के बाद अनेक आरोहों-अवरोहों से गुजरते हुए आत्म पुरूषार्थ से सिद्धि के शिखर तक उन्नति की है । अध्यापन क्षेत्र से जुड़े शेखरजी जहाँ कुशल संपादन व लेखन प्रतिभा के धनी हैं वहीं समाज सेवा में भी उनकी गहरी रुचि है। देश-विदेश में जैन धर्म और संस्कृति के प्रचार-प्रसार के कारण वे अनेक पुरस्कारों एवं उपाधियों से पुरस्कृत और सम्मानित हुए हैं। ग. आ. ज्ञानमती की प्रेरणा से गठित भ. ऋषभदेव जैन विद्वत् महासंघ के अध्यक्ष रहे हैं तो साथ ही दि. जै. त्रि. संस्थान द्वारा संचालित ग. ज्ञानमती पुरस्कार से सन २००५ में सम्मानित हुए हैं। आप चहुँमुखी प्रतिभा के धनी, अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विद्वान और निर्भीक वक्ता हैं।
उनके दीर्घ, निरामय और समाजोपयोगी जीवन के लिये हमारा शुभाशीर्वाद है ।
स्मृतियों के वातायन से
आत्मानंद संस्थापक- अधिष्ठाता, श्रीमद् राजचंद्र
आध्यात्मिक साधना केन्द
वस्तुतः आपका अभिनंदन जिनवाणी सेवा का अभिनंदन है न कि व्यक्ति विशेष का। उनका प्रकाशित हो रहा अभिनंदन ग्रंथ प्रसन्नता का विषय है।
मेरी शेखरजी के प्रति बहुत - बहुत शुभकामना हैं कि वे इसी प्रकार जैन वाङ्मय की, जिनवाणी माता की सेवा में अर्हनिश तत्पर रहकर आत्मोन्मुखी उन्नति करें तथा वर्तमान विद्वत् समूह के प्रेरणास्रोत बनें। उनके लिए बधाई है। कर्मयोगी ब्र. रवीन्द्रकुमार जैन अध्यक्ष- दि. जैन त्रि. शोध संस्थान, हस्तिनापुर