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13081 । प्रमुख निम्नलिखित हैं
1. स्वामी समन्तभद्र - 2वीं शती ई.- स्वयंभू स्तोत्र, देवागम, जिन स्तुति शतक 2. पूज्यपाद- 5वीं शती ई. सरस्वती स्तोत्र, शान्त्यष्टक, दशभक्तिः 3. पात्रकेशरी स्वामी 6वीं शती ई. पात्र केसरी स्तोत्र 4. मानतुंग 7वीं शती ई. भक्तामर स्तोत्र 5. धनंजय
7वीं शती ई. विषापहार स्तोत्र 6. बप्पमहि
8वीं शती ई. सरस्वती स्तोत्र 7. विद्यानंद 8वीं शती ई. श्रीपुरपार्श्वनाथ स्तोत्र 8. जिनसेन स्वामि 9वीं शती ई. श्रीजिनसहस्रनाम स्तोत्र 9. अमितगति 975-1020 ई. भावना द्वित्रिशिंका 10. वादिराज 1025 ई. एकीभाव स्तोत्र ज्ञानलोचन स्तोत्र, अध्यात्माष्टक स्तोत्र 11. मल्लिषेण 1047 ई. ऋषिमंडल स्तोत्र. पद्मावती स्तोत्र 12. इन्द्रनंदि
1050 ई. पार्श्वनाथ स्तोत्र 13. हेमचन्द्राचार्य 1109-72 ई. वीतराग स्तोत्र, महादेव स्तोत्र 14. जिनदत्त सूरि 1125 ई. विघ्नविनाशि स्तोत्र, स्वार्थाधिष्ठापि स्तोत्र 15. कुमुद चन्द्राचार्य 1125 ई. कल्याण मंदिर स्तोत्र 16. विष्णुसेन 1150 ई. समवशरण स्तोत्र 17. विद्यानंदि 1181 ई. पार्श्वनाथ स्तोत्र 18. आशाधर 1200-1250 ई. सिद्धगुण स्तोत्र, सरस्वती स्तोत्र, जिनसहस्रनाम 19. सोमदेव 1205 ई. चिन्तामणि स्तवन 20. वाग्मह
1250 ई. सुप्रबोधन स्तोत्र 21. रत्नकीर्ति 1275 ई.
शम्भू स्तोत्र 22. शुभचन्द्रअध्यात्मिक 1313 ई. मदालसा स्तोत्र 23. महारक सकल कीर्ति 15वीं शती ई. जिनसहस्रनाम, अर्हन्नाम 24. देवविजयगणि 16वीं शती ई. जिनसहस्रनाम 25. विनय विजय 17वीं शताब्दी ई. जिनसहस्रनाम 26. श्री भागचन्द जैन 'भागेन्दु'
19वीं शताब्दी ई. महावीराष्टक 27. ग.आ.ज्ञानमती 20वीं शताब्दी बाहुबलि स्तोत्र, सुप्रभात स्तोत्र,
कल्याणकल्पतरू स्तोत्र उपरोक्त सूची से स्पष्ट है कि स्तोत्र साहित्य में 'जिनसहस्रनाम स्तोत्र' की संख्या सर्वाधिक है। एकाकी तीर्थंकरों में ऋषभनाथ, चन्द्रप्रभु, शान्तिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ और महावीर के स्तोत्र ही मुख्यतया रचे गये। तीर्थंकरों के अतिरिक्त अन्य देवी देवताओं में सरस्वती स्तोत्रों की प्रथा 4 थी 5वीं शती से प्राप्त होने लगती है और 10वीं शती से चक्रेश्वरी, अम्बिका, पद्मावती आदि विशिष्ट प्रभावशाली शासनदेवियों के स्तोत्र रचे जाने लगे। कई स्तोत्र मंत्रपूत माने जाते रहे हैं अतएव उनके साथ सबद्ध चमत्कारों की आख्यायिकायें भी लोक