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तथा / या मोहर भी जारी किये जाते हैं। डाक टिकिट संग्रह की अभिरुचि को फिलेटेली (Philately) कहते हैं। इसे अभिरुचियों का राजा (King of hobbies) कहा गया है। ___ जैन संस्कृति भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है। राष्ट्र के विकास में जैनधर्म, साहित्य, संस्कृति ने
अविस्मरणीय योगदान दिया है। जैन संस्कृति के मूलमंत्र अहिंसा के बल पर ही पूज्य बापू ने देश को आजादी दिलाई थी। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भी 20 जैन शहीद हुए तथा लगभग 5 हजार पुरुष महिलाओं ने i जेल यात्रा की। भारत के संविधान निर्माण में भी जैनों ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। संविधान की मूल प्रति के पृष्ठ ! 63 पर भ. महावीर का चित्र अंकित है। कृतज्ञ राष्ट्र ने समय समय पर जैन संस्कृति विषयक डाक टिकिट तथा
विशेष आवरण-विरूपण आदि जारी किये हैं। लगभग 25 डाक टिकिट व 100 विशेष आवरण अब तक जारी किये जा चुके हैं। यहां जैन व्यक्तियों-अवसरों पर जारी डाक टिकटों का परिचय दिया जा रहा है। ___ मई 1935 में जब किंग जार्ज पंचम के राज्यारोहण की रजतजयन्ती मनायी गयी उस अवसर पर डाक विभाग ने एक पाई से लेकर आठ आने मूल्य तक के सात टिकटों का सेट जारी किया। इस सेट में सवा आने के टिकिट पर कलकत्ता के प्रसिद्ध शीतलनाथ जैन मंदिर का चित्र अंकित था। डाक टिकिट में दांयी ओर जार्ज पंचम का चित्र तथा बांयी ओर मंदिर का चित्र बना है। ___15 अगस्त 1949 को पंद्रह रूपये का टिकिट जारी किया गया। जिसमें विश्वप्रसिद्ध शत्रुजय (पालीताना) के जैन मंदिर का चित्र अंकित है। इस टिकिट में लाल रंग के घेरे के मध्य में भूरे गुलाबी रंग में जैन मंदिर का चित्र अंकित है। ज्ञातव्य है कि गुजरात में शत्रुजय मंदिर जैनियों का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। पालीताना का पुराना नाम पदलिप्तपुर था। इस मंदिर में प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ की मूर्ति स्थापित है।
30 दिसम्बर 1972 को प्रसिद्ध वैज्ञानिक विक्रम अम्बालाल साराभाई की प्रथम पुण्यतिथि पर डाक विभाग ने 20 पैसे मूल्य का टिकिट जारी किया। भारतीय वैज्ञानिकों में विक्रम अम्बालाल साराभाई (19191971) का नाम अग्रगण्य है। विक्रम साराभाई के पिताश्री अम्बालाल साराभाई महात्मा गांधी के परम भक्त थे। इनकी मां श्रीमती सरलादेवी साराभाईने 1930 में गांधीजी की दांडी यात्रा के समय महिलाओं का नेतृत्व किया था। हल्के भूरे और हरे रंग के इस टिकिट में विक्रम साराभाई के चित्र के साथ बायीं ओर वृक्षों का झुरमुट व उसके बीच से आकाश में ऊपर की ओर उठता हुआ एक रोकेट चित्रित है।
13 नवम्बर 1974 को भारत सरकार ने तीर्थंकर महावीर भगवान के पच्चीससौवें निर्वाण महोत्सव के उपलक्ष्य में 25 पैसे मूल्य का टिकिट जारी किया। इस डाक टिकिट पर पावापुरी में निर्मित प्रसिद्ध जलमंदिर का चित्र अंकित है।
9 फरवरी 1981 को डाकविभाग ने एक रूपये मूल्य का डाकटिकिट श्रवणबेलगोला स्थित भ. बाहुबली की मूर्ति पर जारी किया। संपूर्ण विश्व में एक शिलाखंड से निर्मित सबसे विशाल प्रतिमा गोमटेश्वर बाहुबली की ही है। 57 फीट की इस विशाल मूर्ति का महामस्तकाभिषेक 20 जनवरी 1981 में हुआ। इस महोत्सव के अवसर पर यह टिकिट जारी किया गया था। हल्के नीले रंग में जारी किये गये इस टिकिट में भ. बाहुबली की मूर्ति का चित्र अंकित है।
9 मई 1988 को महाराष्ट्र के प्रसिद्ध जैन शिक्षाविद् और उत्कृष्ट अध्यापक श्री भाउराव पाटिल के शिक्षा ।