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________________ | 208 सुतियों वाता । रचना संसार पुस्तक समीक्षा जैन साहित्य समीक्षक : डॉ. देवेन्द्रकुमार जैन मुक्ति का आनंद __'मुक्ति का आनंद' डॉ. शेखरचन्द्र जैन के दस प्रवचनों एवं मक्तिका आनंद लेखों का संग्रह है जिसका प्रकाशन सन् 1981 में किया गया था। जो विविध मंचों से प्रवचन के रूप में या गोष्ठियों में लेख के रूप में प्रस्तुत किये गये हैं। प्रत्येक आलेख जैनधर्म के सिद्धांतों को नवीन परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करते हुए यही इंगित करते हैं कि 'ममत्व का त्याग ही मुक्ति की ओर उन्मुख होने का प्रथम अभियान है, आनंद की चरम परिणति तो तब है, कि मैं सबका हो जाऊँ पर सबमें लिप्त ना होऊं। इसी ज्ञान व चरित्र से व्यक्ति समष्टि की दृष्टि पैदा कर मुक्ति का आनंद प्राप्त कर सकता है।' कृति में 'काम से मोक्ष', 'अहं से ऊँकार तक ऊर्ध्वगमन', 'दमन से शमन', 'मैं और मेरा स्वरूप' जैसे आत्मलक्षी ऊर्ध्वगमन से संबंधी लेख हैं तो 'स्याद्वाद', 'भक्तामर स्तोत्र', 'आत्म परिचय के दस । लक्षण' और भ. महावीर को वर्तमान संदर्भ में देखने के दृष्टिपूर्ण आलेख भी हैं। कृति में ! 'भ.महावीर : वर्तमान युग के परिप्रेक्ष्य में' आलेख बड़ा ही सशक्त, कवित्वमय है, जिसमें । रूढ़ियों और मान्यताओं के विरुद्ध संघर्ष प्रस्तुत हुआ है। उन्हें हिंसा के तांडव से प्रताड़ित दुःखी । जनों के हमदर्द एवं ज्ञान विज्ञान का पुंज स्वीकार किया है। साथ ही आधुनिक युद्ध, शोषण, हिंसा, हरिजन समस्या, नक्सलवाद जैसे विषयों को भी प्रस्तुत करते हुए धर्म और समाज के संबंध को जोड़कर देखने का सम्यक्त्व प्रयत्न किया है। तन साधो : मन बांधो । तब साधो मन बांधो 'तन साधो : मन बांधो' डॉ. शेखरचंद्र जैन की मूलतः ध्यान -योग पर केन्द्रित कृति है। जिसका प्रकाशन सन् 1983 में हुआ था। यह कृति हिन्दी के साथ गुजराती में भी अनुदित होकर प्रकाशित हुई है। इसके गुजराती के दो संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं जिसका एक संस्करण बोस्टन (अमरीका) के संघने कराया था। ८८ पृष्ठीय पुस्तक में पातंजल का योगसूत्र, आ.शुभचंद्र का ज्ञानार्णव एवं हेमचन्द्राचार्य के योगसार के साथ ही वर्तमान युगीन आ.तुलसी एवं उनके शिष्य महाप्रज्ञजी द्वारा प्रचारित ध्यान पद्धति डॉ.शेखरचंद्र जैन
SR No.012084
Book TitleShekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
PublisherShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publication Year2007
Total Pages580
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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