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पंजाब में जैन धर्म का उदभव. प्रभाव और विकास
रत्नमाला (१८६५), सीमंधर स्वामीछंद (१८६५), देवाधिदेव रचना तथा देव रचना (१८७०) हैं ।
कवि खुशीराम दूगड (गुजरांवाला) की २५ के करीब काव्यरचनाएँ उपलब्ध हैं । गुरु विजयानंद बारह मासा, चिट्ठी गुरु आत्माराम के नाम तथा जड़चेतन बारहमासा बहुत प्रसिद्ध हैं ।।
कवि चंदुलाल (मालेरकोटला) की कविताओं व पदों के छः संग्रह छप चूके हैं । श्री विजयानंदसूरिजी के प्रत्येक आयोजन, दीक्षा प्रतिष्ठा, आदि के उनमें वर्णन हैं ।
___ कवि फेरू का जन्म कनीना (भिवानी) के ढड्डा ओसवास कुल में हुआ । ईसवी १२९० से १३१५ तक की इनकी उच्च कोटि की अनेक काव्यरचनाएँ उपलब्ध हैं । स्वयं को परम जैन और फेरु ठाकुर लिखते थे । अलाउद्दीन खिलजी के दरबार में सम्मान पाया ।
कवि (यति) मुनिलाल (सिरसा) की ई. १५८० से १६४० तक की ३१ काव्यरचनाएँ मिलती हैं । पंजाबी भाषा में साहित्य :
हाल ही में कालेरकोटला निवासी श्री पुरुषोत्तम जैन एवं श्री रवीन्द्र जैन ने पंजाबी भाषा में १४ जैन सूत्रों के रूपान्तर पंजाबी में तैयार किये हैं तथा अनेक विषयों पर रचनाएँ भी लिखि हैं ।। अन्य लेखक : .
सरस काव्यरचना, गीत, भजन, कविताएँ व टप्पे आदि लिखनेवालों के कुछ अन्य नाम इस प्रकार
___ हकीम मानकचन्द (रामनगर), शोभाराम ओसवाल (जम्मू), दसौंधी राम (रायकोट), सुन्दरलाल बोथरा (जीरा), मुनि तिलकविजय पंजाबी, उपाध्याय वीरविजयजी, मुनि विमलविजयजी, मुनि शिवविजय पंजाबी, वृजलाल नाहर (होशियारपुर), ईश्वर दास (होशियारपुर), साबर, मोहनलाल, चिरंजीलाल, पंडित (प्रो.) रामकुमार जैन, कपूरचंद मुन्हानी, देवराज मुन्हानी, सदाराम (सामाना), 'सागरचंद (सामाना), नाज़र चंद सामानवी (चंडीगढ़) वर्तमान में महेन्द्रकुमार मस्त - पंचकूला (चंडीगढ़), सुशील जैन रिंद (दिल्ली) तथा गुलशन कुमार जैन (चंडीगढ़) । ग्रंथ रचना व लेख्न :
___ स्थानकवासी आचार्यवर्य श्री आत्माराम जी द्वारा लुधियाना में संपादित विशाल आगम साहित्य अपने आप में अद्वितीय कहा जा सकता है ।
पंजाब की भूमि पर ग्रंथों की रचना, पंडित श्री हीरालाल जी दूगड ने की है । लगभग ४० ग्रंथ और अनेक निबन्ध इन्होंने लिखे हैं ।
प्रोफैसर पृथ्वीराज जैन (अम्बाला) ने अनेक उपयोगी व प्रमाणिक ग्रंथ लिखे हैं । पिछले लगभग दो दशकों में श्री वीरेन्द्र कुमार जैन (दिल्ली) ने भी अनेक लेख, रचनाएँ तथा किताबें लिखी हैं । .. वरिष्ठ लेखक व कवि : वर्तमान में श्री महेन्द्रकुमार मस्त, पूरे क्षेत्र में वरिष्ठतम लेखक व कवि ' हैं । अनेक सामाजिक, धार्मिक व ऐतिहासिक विषयों पर इनकी रचनाएँ सन १९५४ से निरन्तर, जैन