________________
The B
02
श्री यमशिल दादाश्रीदिनानि वे गिरिनारासिनी मेदिनीरसुखदाय नममरएसंसारतया वार श्रीजित राय ।।१) स्वस्ति श्री विराणांतिदायक सांनिधिकरुप नित्तपाया मेघरघराडातवें सर राष्पोजीवाजीवदया मुलकारणे प्रणता ससदीवशास्वस्तिश्री रमणीरमए। नमरण करें नरईदा बाल ब्रह्मचारी रिगमीय मिडि॥ गिरिवार गिरंन्यादा ननिरवाए। धर्मवक्रीया सदा नमीश्वर झिनसाए स्वस्त्रिश्रीतेवी रामो पाटी गोमी मंमामिलास अतिथी सुरतरुकदमे
|पास दि॥ ॥ स्वस्तिश्री बिसला तमाम दिमोटो महावीराचर एवं बांदीपुष्पमंदिरधीर॥८॥ सिदार कल केसरी कर नरहंद | सिंदलंबनपय सोढतो । वरं वीरदिश्री रूपसनिव
વિજ્ઞપ્તિપત્ર વિક્રમની ૧૭મી સદીમાં ચિત્રિત વિજ્ઞપ્તિપત્રનો એક ભાગ