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દેશી નામમાલા
कली शत्रुः २/२ संस्कृत में कलि शब्द कलियुग, बहेड़े का वृक्ष, शूरवीर और विवाद के अर्थ में आया है, पर इस कोश में शत्रु अर्थ है ।
कुमारी चण्डी २/३५ संस्कृत में कुमारी शब्द अविवाहित कन्या, बारह वर्ष की कन्या, घीकुआर, मेदिनी पुष्प, बडी इलायची, नवमल्लिका, चमेली, दुर्गा, पार्वती और सीता के अर्थ में आया है, पर इस कोश में क्रोधित नारी के अर्थ में प्रयुक्त है ।।
___ तमो शोकः ५/१–संस्कृत मै तम शब्द अंधकार, राहु, मोह, नरक, आदि अर्थों में आया है, पर इस कोश में इस का अर्थ शोक है। सम्भवतः लक्षणा शक्ति से ही इस का यह अर्थ कोशकार ने ग्रहण किया हैं।
तलं ग्रामेशः ५/१९-संस्कृत में तल शब्द का अर्थ मध्यदेश, पेंदी, पाताल, स्वभाव, जंगल, गड्डा, घर की छत, थप्पण, तमाचा, ताड़ का वृक्ष, अधोभाग, पृष्ठदेश, मूलदेश, हथेली, पैर का तलवा, तलवार की मूठ, गोद, कलाई, पहुँचा, एक नरक का नाम, सहारा, आधार, जल के नीचे की भूमि, वक्षःस्थल, महादेव, सात पातालों में से पहला पाताल आदि है, किन्तु इस कोश में प्रामाधिपति या गांव का मुखिया है।
पलं स्वेदः ६/१–संस्कृत में पल शब्द का अर्थ मांस, क्षण, घटी का साठवा भाग, धान का पुआल, चलने की क्रिया, छल, तुला, तराजू , एक तौल जो चार कर्ष के बराबर होती है, मूर्ख, पलक आदि है, किन्तु इस कोश में पल शब्द का अर्थ पसीना है।
___ माला ज्योत्स्ना ६/१२८-संस्कृत में माला शब्द श्रेणी, पंक्ति, अवलि, गले में पहनने का पुष्पों का हार, गजरा, जप करने की माला, एक प्रकार की दूर्बा एवं उपजाति छन्द का एक भेद अर्थों में आया है; पर इस कोश में चादनी के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है।
वल्लरी केशः ७/३२–संस्कृत में वल्लरी शब्द वल्ली, मंजरी, लता और एक प्रकार का बाजा, इन अर्थों में प्रयुक्त हुआ है पर कोश में केश अर्थ में आया है।
- इस प्रकार संस्कृत के तत्सम शब्दों के अर्थ बिल्कुल बदले हुए हैं। इन अर्थों के आधारपर उक्त शब्दों की सुन्दर आत्मकथा उपस्थित की जा सकती है। ___इस कोश की पांचवीं विशेषता यह है कि इस में इस प्रकार के शब्दों का संकलन किया गया है, जिन के आधार पर उस काल के रहन-सहन और रीति-रिवाजों का लेखाजोखा उपस्थित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए कुछ शब्दों को लिया जायगा।
केश रचना के लिए हेमचन्द्र ने कई प्रकार के शब्द प्रयुक्त किये हैं। इन शब्दों के अवलोकन से पता लगता है कि उस समय केश विन्यास के कई तरीके प्रचलित थे। सामान्य केश रचना के लिए बब्बरी ६/९०, रूखे केशबन्ध के लिए फुटा ६/८४, केशों का जूडा बाधने के लिए ओअग्गिअं १/१७२, सीमान्त सुन्दर ढङ्ग से सजाये गये केश विन्यास को कुंभी २/३४, रूखे बालों को साधारण ढङ्ग से लपेटने के अर्थ में दुमंतओ ५/४७ शिर पर रंगीन. कपड़ा लपेटने के अर्थ में अणराहो एवं किसी लसदार पदार्थ को लगाकर सिर
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