________________
દેશી નામમાલી निस्सार होता है, जहाँ ईख की पंक्तिया लगी रहती हैं । यह पशुओं के चोर के काम में आता है । भोजपुरी, ब्रजभाषा और अवधी में अंगोला शब्द प्रचलित है । इस की व्युत्पत्ति अंगालिअं से मानी जा सकती है ।
अम्मा अम्बा १/५–अब हिन्दी से विभिन्न ग्रामीण बोलियों में यह शब्द इसी अर्थ में प्रयुक्त है। ___ उक्खली पिठरम् १/८८ अवधी में ओखरी, राजस्थानी, ब्रजभाषा और भोजपुरी में ओखली, उखली, ओखरी और ओखड़ी ।
चुल्लीइ उल्लिउद्धाण १/८७-भोजपुरी, राजस्थानी, व्रजभाषा और अवधी में चूल्हा, गुजराती में चूलो ।
उत्थल्ला परिवर्तनम् १/९३-हिन्दी उथल, गुजराती में उथल । उल्लुटं मिथ्या १/७९-हिन्दी की सभी ग्रामीणबोलियों में उलटा ।
उसीरं बिसतन्तुः १/९४-अवधी, भोजपुरी और ब्रजभाषा में उशीर, यह शब्द कमलनाल या खश के अर्थ में प्रयुक्त है ।
___ उडिदो माषधान्यम् १/९८-ब्रजभाषा उड़द, भोजपुरी उरिद, खड़ीबोली उड़द, गुजराती अडद और राजस्थानी उडिद या उड़द ।
उडुसो मत्कुणः १/९९–भोजपुरी में उड़िस या उड़ोस, बंगला और मैथिली में उड़ीस ।
उत्तालं उव्वेत्तालं द्वावप्येतौ निरन्तरस्वररुदिते १/१०१-हिन्दी की समस्त ग्रामीण बोलियों में उद्धत अर्थ में उत्ताल ।
उठवाओ खिन्नाथ १/१०२-ब्रजभाषा और अवधी.में ऊबना, भोजपुरी में उबना, ऊबना, अवधीकोश में बताया गया है कि 'ओबा' से सम्बद्ध अर्थात् वैसे ही घबराना, जैसे ओबाकी बीमारी में लोग घबड़ाते है । इस से स्पष्ट है कि अवधी कोशकार 'ऊबना' का सम्बन्ध 'ओबा' से मानते है, पर यह ठीक नहीं । ऊबना का सम्बन्ध उव्वाओं से ठीक बैठता है ।
उत्थल्ल पत्थल्ला पार्श्वद्वयेन परिवर्तनम् १/१२२-हिन्दी मे उथलपुथल, गुजराती में उथल-पाथल ।
.. ओज्झरी अन्त्रावरणम् १/१५७-आंत या पेट ब्रजभाषा में ओझ, ओझर, भोजपुरी में ओज्झरी ।
ओड्ढणं उत्तरीयम् १/१५५-राजस्थानी ओढणी, ब्रजभाषा, अवधी और गुजराती में ओढ़नी । ब्रजभाषा सूरकोश में बताया गया है कि ओढ़नी स्त्रियों के ओढ़ने के वस्त्र, उपरैनी, चादर और फरिया है।
कट्टारी छुरिका २/४-हिन्दी की सभी ग्रामीण बोलियों में कटारी । कन्दो मूलशाकम् २/१-हिन्दी, बंगला और मैथिली में कन्द ।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org