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________________ ६५८] वीर ज्ञानोदय ग्रंथमाला भरतक्षेत्र की गंगा-सिन्धु २+ इनकी सहायक नदियां - २८००० हैमवतक्षेत्र की रोहित-रोहितास्या २+ इनकी सहायक नदियां = ५६००० हरिक्षेत्र की हरित-हारिकान्ता २+ इनकी सहायक नदियां - १,१२००० विदेह क्षेत्र की सीता-सीतोदा २+ इनकी सहायक नदियां = १,६८००० (८४०००४२) विदेह क्षेत्र की विभंगा नदी १२+ इनकी सहायक नदियां - ३,३६००० (२८०००४१२) ३२ विदेह देशों की गंगा-सिन्धु और रक्ता रक्तोदा नाम की ६४+ इनकी सहायक नदियां ८,९६००० (१४०००४६४) रम्यकक्षेत्र की नारी, नरकान्ता २+ इनकी सहायक नदियां - १,१२००० हैरण्यवत क्षेत्र की सुवर्णकूला-रूप्यकूला २+ इनकी सहायक नदियां ५६००० ऐरावत क्षेत्र की रक्ता-रक्तोदा २+ इनकी सहायक नदियां - २८००० २ १२ २६४ २८००० ५६००० ११२००० १६८००० ३३६००० ८९६००० ११२००० ५६००० २८००० १७९२००० १% ७६+ १७९२००० - १७९२०९० अर्थात सम्पूर्ण जम्बूद्वीप में १७ लाख, ९२ हजार, ९० नदियां १७९२०९० हैं। इनमें विदेह क्षेत्र की नदियां १४ लाख, ७८ हजार (१४०००७८) हैं। सीता-सीतोदा की जो परिवार नदियां हैं, वे देवकुरु-उत्तरकुरु में ही बहती हैं। आगे पूर्व विदेह-पश्चिम विदेह में विभंगा और गंगा-सिन्धु तथा रक्ता-रक्तोदा हैं। उपरोक्त सभी परिवार नदियां अपने-अपने कुण्डों से निकलती हैं। प्रश्न-जम्बूद्वीप में कर्मभूमियां कितनी हैं? उत्तर-भरत क्षेत्र के आर्यखण्ड की एक कर्मभूमि तथा ऐरावत क्षेत्र के आर्यखण्ड की एक कर्मभूमि तथा विदेह क्षेत्र के ३२ आर्यखण्ड की ३२ कर्मभूमि इस प्रकार जम्बूद्वीप में कुल ३४ कर्मभूमि हैं। इनमें से भरत-ऐरावत क्षेत्र में षट्काल परिवर्तन होने से ये २ अशाश्वत कर्मभूमि हैं एवं विदेह में सदा ही कर्मभूमि की व्यवस्था होने से वे ३२ शाश्वत कर्मभूमि हैं। ____इन्हीं ३४ कर्मभूमियों में ६३ शलाका पुरुषों का जन्म होता है और भरतक्षेत्र में २४, ऐरावत में २४ तीर्थकर प्रत्येक चतुर्थकाल में जन्म लेकर निर्वाण प्राप्त करते हैं। विदेह क्षेत्र की ३२ कर्मभूमियों में चार तीर्थंकरों का शाश्वत निवास रहता है। प्रश्न-जम्बूद्वीप में आर्यखंड और म्लेच्छखंड कितने-कितने हैं? उत्तर-भरतक्षेत्र में एक आर्यखण्ड, ऐरावत क्षेत्र में एक आर्यखंड एवं ३२ विदेहों में ३२ आर्यखण्ड ऐसे कुल ३४ आर्यखण्ड सम्पूर्ण जम्बूद्वीप में हैं। इन आर्यखण्डों में ही महापुरुषों का जन्म होता है तथा म्लेच्छखण्ड १७० हैं जो कि इस प्रकार हैं- भरतक्षेत्र के ५, ऐरावत के ५ और ३२ विदेह में प्रत्येक के ५, ५ (३२४५-१६०) -५+५+१६०- १७०, जम्बूद्वीप में कुल १७० म्लेच्छखण्ड हैं। प्रश्न-जम्बूद्वीप में भोगभूमि कहां-कहां पाई जाती हैं? उत्तर-जम्बूद्वीप में शाश्वत भोगभूमि ६ हैं जो इस प्रकार हैं- हैमवत,-हैरण्यवत, हरि एवं रम्यक, देवकुरु एवं उत्तरकुरु । हैमवत- हैरण्यवत में जघन्त भोग भूमि की व्यवस्था है। वहां पर मनुष्यों की शरीर की ऊंचाई एक कोस है। आयु एक पल्य है और युगल जन्म लेते हैं- युगल ही मरते हैं। इस प्रकार वे कल्पवृक्षों से भोग सामग्री प्राप्त करते हैं। हरि क्षेत्र एवं रम्यक् क्षेत्र में मध्यम भोगभूमि की व्यवस्था है। वहां पर दो कोस ऊँचे तथा दो पल्य की आयु वाले मनुष्य होते हैं। ये भी भोग सामग्री कल्पवृक्षों से प्राप्त करते हैं। Jain Educationa international For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012075
Book TitleAryikaratna Gyanmati Abhivandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1992
Total Pages822
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size26 MB
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