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________________ गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती अभिवन्दन ग्रंथ ६५७ प्रश्न : ग्रंथों के अनुसार इस सुमेरु पर्वत की चौड़ाई, ऊँचाई आदि क्या है? उत्तर : ग्रंथों के आधार से इस सुमेरु पर्वत की ऊँचाई एक लाख चालीस योजन है। अर्थात् यह सुमेरु पर्वत भी जम्बूद्वीप के विस्तार के समान लगभग चालीस करोड़ मील ऊँचा है। इस पर्वत की नींव पृथ्वी में एक हजार योजन है तथा पृथ्वी पर इसकी चौड़ाई दस हजार योजन है और सबसे ऊपर चूलिका अर्थात् चोटी का अग्रभाग मात्र चार योजन व्यास का है। इस पर्वत के चारों तरफ पृथ्वी तल पर भद्रसाल वन है। इस वन से पाँच सौ योजन ऊपर जाकर नंदन वन है। नंदन वन से बासठ हजार पाँच सौ योजन ऊपर जाकर सौमनस वन है और सौमनस वन से छत्तीस हजार योजन ऊपर जाकर पांडुक वन है। इस पांडुक वन के ठीक बीच में चालीस योजन ऊँची चूलिका है। पांडुक वन में चारों ही विदिशाओं में चार शिलायें हैं, जिनके नाम इस प्रकार हैं-पांडुक, पांडुकंबला, रक्ता, रक्तकंबला। पांडुकशिला पर भरतक्षेत्र के जन्मे हुए तीर्थंकरों का जन्माभिषेक किया जाता है। पांडुकंबला शिला पर पश्चिम विदेह के तीर्थंकरों का, रक्ताशिला पर पूर्व विदेह के तीर्थंकरों का और रक्तकंबला पर ऐरावत क्षेत्र के तीर्थंकरों का जन्माभिषेक होता है। इसीलिए इस पर्वत को पूज्य माना गया है। प्रश्न : हस्तिनापुर में जो जम्बूद्वीप का निर्माण किया गया है, उसमें कहीं पर्वतों के नाम, कहीं नदियों के नाम, कहीं क्षेत्रों के नाम दिये गये हैं तो शास्त्रों में जम्बूद्वीप के अंतर्गत क्या इसका उल्लेख मिलता है। कृपया हमें जानकारी देने का कष्ट करें? उत्तर : जम्बूद्वीप में प्रमुख रूप से छः कुलाचल, सात क्षेत्र, छः सरोवर, चौदह नदियां व चार गोपुर द्वार हैं। १. पर्वतों की संख्या-हिमवान, महाहिमवान, निषध, नील, रुक्मि और शिखरी ये छ: कुलाचल अर्थात् पर्वत हैं। २. क्षेत्र की संख्या-भरत, हैमवत, हरि, विदेह, रम्यक्, हैरण्यवत् और ऐरावत ये सात क्षेत्र हैं। ३. सरोवर-पद्म, महापद्म, तिगिंछ, केसरी, महापुंडरीक और पुंडरीक ये छः सरोवर हैं। ४. नदियाँ-गंगा, सिन्धु, रोहित, रोहितास्या, हरित, हरिकाता, सीता, सीतोदा नारी नरकांता, सुवर्णकूला, रूप्यकूला और रक्ता रक्तोदा ये चौदह नदियाँ हैं । ५. गोपुर द्वार-विजय, वैजयंत, जयंत, अपराजित ये चार गोपुर द्वार हैं। प्रश्न : क्या उपर्युक्त ६ पर्वतों के अलावा जम्बूद्वीप में और भी कोई पर्वत है? उत्तर : जम्बूद्वीप में कुल ३११ पर्वत हैं, जो कि निम्न प्रकार हैंसुमेरु कुलाचल गजदंत वक्षार विजयार्ध वृषभाचल नाभिगिरि यमकगिरि दिग्गजेन्द्र कांचनगिरि ܗ ܐ ܃ ܃ ܐ ܐ ܐ ...३११ प्रश्न : ये सभी पर्वत जम्बूद्वीप में कहाँ-कहाँ पाये जाते हैं? उत्तर : सुमेरु पर्वत विदेह क्षेत्र के मध्य में है। ६ कुलाचल ७ क्षेत्रों की सीमा करते हैं। ४ गजदंत मेरु की विदिशा में हैं। १६ वक्षार विदेह क्षेत्र में हैं। ३२ विजया ३२ विदेह क्षेत्र में हैं और २ विजया भरत और ऐरावत में एक-एक हैं। अतः ३४ विजयार्ध हैं। ३२ विदेह के ३२, भरत-ऐरावत के २, इस प्रकार ३४ वृषभाचल हैं। हैमवत, हरि, रम्यक् और हैरण्यवत में १-१ नाभिगिरि ऐसे ४ नाभिगिरि हैं। सीता नदी के पूर्व-पश्चिम तट पर १-१ ऐसे ४ यमकगिरि हैं। देवकुरु उत्तरकुरु में २-२ और पूर्व-पश्चिम भद्रसाल में २-२ ऐसे ८ दिग्गज पर्वत हैं। सीता-सीतोदा इन दो नदियों के बीच २० सरोवर हैं तथा प्रत्येक सरोवर के २-२ तट हैं। इस प्रकार २० x २ = ४० तट हैं। प्रत्येक तट संबंधी पाँच-पाँच कांचनगिरि हैं। इस प्रकार ४० x ५ = २०० कांचनगिरि हैं। ये सीता और सीतोदा नदी में हैं। इस प्रकार इन सभी पर्वतों की संख्या मिलकर ३११ होती है। प्रश्न-क्या जम्बूद्वीप में १४ नदियां हैं? उत्तर-जम्बूद्वीप में गंगा-सिंधु, रोहित-रोहितास्या, हिरत-हरिकान्ता, सीता-सीतोदा, नारी-नरकान्ता, सुवर्णकूला-रूप्याकला और रक्ता-रक्तोदा ये १४ महानदियाँ हैं तथा इनकी परिवार-सहायक नदियों को मिलाकर कुल नदियों की संख्या १७ लाख, ९२ हजार, ९० नदियां हैं, १७,९२०९० । Jain Educationa international For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012075
Book TitleAryikaratna Gyanmati Abhivandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1992
Total Pages822
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size26 MB
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