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गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती अभिवन्दन ग्रन्थ
बस पांच जैनघर वाले मुलसम नगर में ज्योति प्रवर्तन था। हज्जारों जनसमुदाय मध्य मानव एकता प्रदर्शन था। श्रेयांसनाथ तीर्थंकर का मंदिर प्राचीन सुनिर्मित है।
अपने पूर्वज का पुण्यकर्म कहता पर विषम परिस्थिति में ॥ ७९ ॥ दो जिनमंदिर से शोभित नगर बिनौली में शुभ स्वागत है। ज्योतीरथ में राजेन्द्र विधायकजी सबके अभ्यागत हैं। डाक्टर श्रेयांस बड़ौत तथा कुछ अन्य अतिथि भी आते हैं। प्रवचन में ज्ञानमतीजी की यह अमरकृती बतलाते हैं ॥ ८० ॥
जिनमंदिर बहुत विशाल बना छपरौली के यमुना तट पर। सैकड़ों दिगम्बर जैन घरों ने किया ज्योति रथ का स्वागत ।। बढ़ रही ज्ञानज्योति अपने परिभ्रमण के अंतिम चरणों में।
पश्चिम यू.पी. का महानगर आया बड़ौत इस ही क्रम में॥ ८१ ॥ सांसद श्री जे.के. जैन तथा बलरामजी जाखड़ भी आए। मैंने एवं रवीन्द्र भाई ने अपने अनुभव बतलाए॥ श्री जमादारजी बाबूलाल पंडित की कर्मभूमि यह है। संचालक प्रथम ज्ञानज्योति के थे कर्मठ पर आज नहीं थे वे॥ ८२ ॥
उनकी यह कमी आज सबको उनका स्मरण दिलाती है। संचालन अनुशासन की शैली याद स्वयं आ जाती है। यहाँ जैन दिगम्बर डिग्री कॉलेज इंटर कॉलेज आदि कई।
शिक्षण संस्थाएं सामाजिक संस्थाएं स्वागत हेतु खड़ीं ॥ ८३ ॥ गुरुओं, सन्तों के चरणों से सर्वदा भूमि यह पावन है। गुरु भक्त विशाल जैन जनता कर रही ज्योति आराधन है। शोभा यात्रा में आज यहाँ सी भीड़ न देखी गई कहीं। सांसद द्वय के ओजस्वी भाषण की बड़ौत में धूम रही। ८४ ॥
निरपुड़ा टीकरी से होकर वह प्रभापुञ्ज मेरठ आई। एल.आर. सिंह डी.एम. साहब ने गौरव गाथा बतलाई ॥ बोले इस मेरठ कमिश्नरी का भाग्य उदित होने वाला।
जम्बूद्वीपोत्सव में हमने यदि महाकार्य कुछ कर डाला ॥ ८५ ॥ रेलवे रोड की जैन धर्मशाला में स्वागत कार्यक्रम । शोभायात्रा में बैंड और झांकी का देखा सुन्दर क्रम ॥ तेरह जिनमंदिर सहित नगर यह गुरुचरणों से पावन है। हस्तिनापुरी की यात्रा में यह नगर प्रमुख मनभावन है॥ ८६ ॥
चौबिस अप्रैल सराय पहुँच कर ज्ञानज्योति यात्रा निकली। इस अमीनगर के प्रांगण में नारी शिक्षा की ज्योति जली ॥ कुछ दूर यहाँ से जाने पर इक अतिशय क्षेत्र के दर्शन हैं।
उस "बड़ागांव" के दर्शन को प्रतिदिन आते यात्रीगण हैं । ८७ ॥ हस्तिनापुरी का दरवाजा जिसका कभी नाम मुहाना था। जहाँ ज्ञानज्योति रथ आ पहुँचा पर अब वह नगर मवाना था ।
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