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________________ ६४२] गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती अभिवन्दन ग्रन्थ श्री ज्ञानमतीजी की गाथा प्रारंभ यहीं से होती है। यह नगरी मानो आज तलक उनके वियोग में रोती है। पर हंसना रोना तो जग में संयोग वियोगों के क्षण हैं। माँ ज्ञानमती की गौरव गाथा से पावन हर रजकण है ॥ ३ ॥ थी जगह वहीं जहाँ सन् बावन में मुनिवर का चौमास हुआ। उन केशलोंच लख मैना ने निज केशलोंच प्रारंभ किया | कुछ पूर्व जन्म संस्कारों वश ही साहस ऐसा आया था। संघर्षों के पश्चात् उन्होंने जीवन सफल बनाया था ॥ ४ ॥ माँ बेटी का इक रात्रि वहाँ वैराग राग संग्राम हुआ। अपने वैरागी प्रवचन से मैना ने माँ को शान्त किया। मोहिनी बनी कुछ निमोंही तब बेटी ने निज कार्य किया। कागज पेन देकर भोली माँ से स्वीकृति पत्रक लिखा लिया ॥ ५ ॥ नेत्रों से आंसू टपक रहे सारा शरीर भी काँप रहा। कागज पर कलम न चलती थी फिर भी लिखना आवश्यक था। माता का स्वीकृति पत्रक ले बेटी गुरुवर के पास गई। आश्विन शुक्ला पूर्णिमा जन्म तिथि को सप्तम प्रतिमा ले ली ॥ ६ ॥ इस त्याग दिवस के कारण जन्म दिवस की सार्थक तिथी हुई। बन श्वेत वस्त्र धारिणी आर्यिकामाता सम ही व्रती हुई। यदि बस चलता तो उसी समय ये दीक्षा धारण कर लेतीं। पर संघर्षों में इससे आगे और भला क्या कर लेतीं ॥ ७ ॥ इन इतिहासों से जिलाधीशजी भी अत्यन्त प्रभावित थे। इक नारी की इतिहास भूमि पर आकर स्वयं सुवासित थे। घटनाओं के इस प्रांगण में ही आज ज्ञान ज्योती आई। इसलिए पूर्व के कथा भाग पर मेरी दृष्टि उभर आई॥ ८ ॥ अपनी ज्योती में जनता ने माँ ज्ञानमतीजी को पाया। शोभायात्रा के बाद ज्योतिरथ ने आगे पथ अपनाया ।। पैतेपुर और बेलहरा से तहसील फतेहपुर क्रम आया। परगनाधिकारी रघुवंशी सत्येन्द्र से स्वस्तिक बनवाया ॥ ९ ॥ राजेन्द्र सिंह विधायकजी नगरी त्रिलोकपुर में आए। श्री मानवेन्द्रपतिजी गनेशपुर में ज्योतीरथ में आए ॥ एस.डी.एम. जी ने जरवल रोड का कार्यक्रम सम्पन्न किया। जिलाधीश महोदय ने बहराइच में स्वागत सम्पन्न किया ॥ १० ॥ श्रावस्ती तीर्थ पहुँच कर हम सबने पूजा अर्चना किया। श्री संभवनाथ की जन्मभूमि पर ज्योती ने वंदना किया ॥ आगे के इटियाथोक नगर में जिलाधिकारी ने अपना । कर्तव्य निभाया तथा तिवारी का साकार हुआ सपना ॥ ११ ॥ तीरथ की पूज्य श्रेखला में साकेतपुरी का क्रम आया। उत्सव कर फैजाबाद शहर वृषभेश चरण सम्मुख आया ॥ Jain Educationa international For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012075
Book TitleAryikaratna Gyanmati Abhivandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1992
Total Pages822
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size26 MB
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