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गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती अभिवन्दन ग्रन्थ
२१०. इंदौर (म.प्र.), २११. गुजरी (धार), २१२. धामनोद (धार) म.प्र., २१३. महेश्वर (खरगोन), २१४. मंडलेश्वर (खरगोन), २१५. बालसमुन्द (खरगोन), २१६. धरमपुरी (धार) म.प्र. २१७. बाकानेर (धार) म.प्र. २१८. मनावर (धार) म.प्र. २१९. गंधवानी (धार) म.प्र. २२०. सुसारी (धार) म.प्र., २२१. कुक्षी (धार) म.प्र., २२२. बड़वानी (म.प्र.), २२३. अंजड़ (खरगोन) म.प्र. २२४. चापड़ा (देवास) म.प्र., २२५. कन्नोद (देवास) म.प्र., २२६. खातेगांव (देवास) म.प्र., २२७. अजनास (देवास) म.प्र., २२८. लोहारदा (देवास) म.प्र., २२९. हाटपिपल्या (देवास) म.प्र., २३०, सोनकच्छ (देवास) म.प्र. २३१. जावर (सिहोर) म.प्र. २३२. मेहतवाड़ा (सिहोर) म.प्र. २३३. आष्टा (सिहोर) म.प्र. २३४. कोठरी (सिहोर म.प्र. २३५. इच्छावर (सिहोर) म.प्र. २३६. शुजालपुर (शाजापुर) म.प्र. २३७. अकोदिया मंडी (शाजापुर) म.प्र. २३८. शुजालपुर मंडी (शाजापुर) म.प्र., २३९. कालापीपल (शाजापुर) म.प्र., २४० सिहोर (म.प्र.), २४१. पिपलानी (भोपाल) म.प्र. २४२. भोपाल (म.प्र.), २४३. वेरसिया (भोपाल) म.प्र. २४४. सलामतपुर (रायसेन) म.प्र. २४५. विदिशा (म.प्र.) २४६. गंजबासोदा ( विदिशा) म.प्र. २४७. सिरोंज (विदिशा) म.प्र. २४८. कुरुवाई (विदिशा) म.प्र., २४९. ओडेर (गुना) म.प्र., २५०. बहादुरपुर (गुना) म.प्र., २५१. मुंगावली (गुना) म.प्र., २५२. शेहराई (गुना) म.प्र., २५३. अजलगढ़ (गुना) म.प्र. २५४. धुवोनजी (गुना) म.प्र. २५५. चंदेरी (गुना) म.प्र. २५६. ईसागढ़ (गुना) म.प्र. २५७. सादोणा (गुना) म.प्र.
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मध्य प्रदेश के जैन तीर्थस्थल
१. सोनागिरि (दतिया), २. नैनागिरि, ३. द्रोणगिरि (छतरपुर), ४. पपौराजी (टीकमगढ़), ५. अहारजी (टीकमगढ़), ६. खजुराहो (छतरपुर), ७. चंदेरी (गुना), ८. सिद्धवरकूट (खरगोन), ९. बड़वानी, १०. ऊन पावागिरि (खरगोन), ११. थुवोनजी ( गुनाजी), १२. सेरोनजी, १३. बड़ागांव ( टीकमगढ़), १४. सिहोर १५, बनेड़ियाजी (खरगोन) ।
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जम्बूद्वीप ज्ञानज्योति
सर्वोदय, सम्यक्त्व, समन्वय का
स्वरूप है ज्ञान ज्योति । तिमिराछिन्न में नव प्रभात सी
उज्ज्वलता है ज्ञान ज्योति ॥
नूतन पथ आलोकित करती
दिग्दर्शक है ज्ञान ज्योति ॥
आत्म बोध का ज्ञान कराती
मोक्ष दिलाती ज्ञान ज्योति ॥
'ज्ञानमती' सी समता देती
शोर मचाती ज्ञान ज्योति ॥
नगर नगर में डगर डगर में
आभा बिखराती ज्ञान ज्योति ॥
- मांगीलाल जैन 'मृगेश'
गुजरात प्रान्तीय ज्योति यात्रा
इस देश की आजादी का जहाँ से पौराणिक इतिहास जुड़ा। महावीर अहिंसा वाणी का गांधी ने किया समर्थन था। गुजरात की पावन धरती पर अब ज्ञान ज्योति रथ आया है। पुनरेव अहिंसा नारों ने पूरा प्रदेश गुंजाया है ॥
गुजरात प्रान्त के नाम मात्र से मानव शरीर को संचालित करने वाले हृदय की धड़कनें तेज हो जाती हैं, परतंत्रयुगीन भारत का वीभत्स रूप आंखों
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