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________________ ६०८] गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती अभिवन्दन ग्रन्थ जैसा कि इस नगर के विषय में प्रसिद्धी है कि "किसी लघु आयोजन में . भी हजारों की जनता बिना परिश्रम किए ही एकत्रित हो जाती है," वही बात दृष्टिगत भी हुई। ज्ञानज्योति के मध्यप्रदेशीय उद्घाटन में हजारों नर-नारी जबलपुर में उस दिन इकट्ठे हुए, जबकि शीतकालीन ठण्डी रश्मियाँ अपना पूर्ण प्रभाव पृथ्वी तल पर दिखा रही थीं, सूर्य देवता भी छुप-छुप कर अपना दर्शन दे रहे थे, किन्तु धर्मप्राण जनता सर्दी-गर्मी की परवाह किये बिना हर पल धर्म कार्य हेतु कटिबद्ध रहती है, इसका साक्षात् दृश्य जबलपुर में दिखाई दे रहा था। सारी नगरी नई नवेली दुल्हन की भाँति सजी हुई थी, क्योंकि उसे अपने अतिथियों का सत्कार करना था। ज्ञानज्योति की शोभायात्रा में दस हजार लोग मध्यप्रदेश में ज्ञानज्योति प्रवेश के मंगल अवसर पर जबलपुर में मध्यप्रदेश कांग्रेस जब जय-जयकार करते हुए चल रहे थे, उस समय का दृश्य समवशरण के के अध्यक्ष श्री मोतीलाल जी बोर खरगोन निभाड़ क्षेत्र के सांसद श्री सुभाष यादव, सदृश प्रतीत हो रहा था। नगर निवासियों ने बतलाया कि "ऐसी भीड़ जबलपुर राज्य पर्यावरण मंत्री श्री चन्द्रकांत भानोट, वन मंत्री श्री अजयनारायण मुसरान प्रांतीय के किसी गजरथ में भी देखने को नहीं मिली।" प्रवर्तन समिति के पदाधिकारी श्री कैलाशचंद चौधरी, इंदौर। प्रशासन भी जाग्रत हुआभारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी द्वारा प्रवर्तित ज्ञानज्योति का मध्यप्रदेश में आगमन जानकर प्रान्तीय शिक्षामंत्री श्री मोतीलालजी बोरा, वनमंत्री श्री अजय नारायण मुसरान, राज्य पर्यावरण मंत्री श्री चन्द्रकान्त भानोट तथा मध्य प्रदेश कांग्रेस आई के महामंत्री ललित श्रीवास्तव एवं सांसद श्री सुभाष यादव आदि महानुभावों ने उपस्थित होकर ज्ञानज्योति रथ पर स्वस्तिक बनाकर, पुष्पहार अर्पण कर आरती-पुष्पांजलि आदि द्वारा प्रान्तीय रथ प्रवर्तन का उद्घाटन किया। शासन अधिकारियों के साथ-साथ ज्ञानज्योति के केन्द्रीय महामंत्री ब्र. श्री मोतीचंदजी जैन एवं मध्यप्रदेशीय ज्ञानज्योति प्रवर्तन समिति के अध्यक्ष श्री देवकुमार सिंहजी कासलीवाल-इंदौर, उपाध्यक्ष श्री कैलाश चंदजी चौधरी-इंदौर, ज्ञानज्योति का स्वागत करते हुए जबलपुर के कार्यकर्तागण श्री सुरेशचंद जैन, श्री महामंत्री श्री इंदरचंद चौधरी-सनावद, प्रचारमंत्री श्री त्रिलोकचंद जैन-सनावद शीलचंद जैन, श्री निर्मलचंद जैन भू.पू. सांसद, श्री मोतीचंद जी, श्रीचंद जी, श्री तथा सनावद आदि सम्पूर्ण मध्यप्रदेश के अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने उपस्थित त्रिलोकचंद जी, श्री प्रकाशचंद जी। होकर कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना अपूर्व योगदान दिया। सभी लोगों ने स्वागत सभा में अपने विचार व्यक्त किये कि "पूरे मध्यप्रदेश में यह ज्योतियात्रा निर्विघ्र रूप से विहार करे, इसके द्वारा जनमानस में राष्ट्रीय एकता, विश्वबंधुत्व एवं धार्मिक सहिष्णुता का संचार हो।" शिक्षामंत्रीजी ने अपने वक्तव्य में विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि “यह ज्योति मध्यप्रदेश की जनता में ज्ञान का अलख जगाएगी, गांव की अनपढ़, पिछड़ी जनता में अक्षर ज्ञान का भी संचार होगा, ऐसा मुझे पूर्ण विश्वास है।" । वन एवं राज्यपर्यावरण मंत्री ने आज यहाँ अपने वक्तव्य में जंगलों एवं पर्यावरण को सुरक्षित रखने हेतु वन्य जीवों के प्रति दयाभाव रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि जैन धर्म की अहिंसक प्रवृत्तियों से हमारे शासन को भी सदैव बल मिलता है। इस जैन ज्योति के प्रवर्तन से समस्त प्राणियों में अहिंसा धर्म फैलेगा, इसमें कोई संदेह नहीं है। ब्र. श्री मोतीचंदजी ने ज्ञानज्योति प्रवर्तन के चहुंमुखी उद्देश्यों को अपने ओजस्वी भाषण में बतलाया। उन्होंने कहा कि दिल्ली, राजस्थान, बंगाल, बिहार, उड़ीसा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, आंध्रा आदि प्रदेशों का भ्रमण करती हुई जम्बूद्वीप ज्ञानज्योति अब मध्यप्रदेश में पधारी है। यहाँ की सरकार, समाज एवं जनता का उत्साह देखकर ऐसा लगता है कि हमारा यह प्रादेशिक प्रवर्तन निश्चित ही ऐतिहासिक होगा। श्री देवकुमार सिंहजी कासलीवाल-इंदौर ने अपने अध्यक्षीय भाषण में पूज्य गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती माताजी के इस महत्तम कार्य की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए बतलाया कि "इस जम्बूद्वीप रचना के निर्माण से हस्तिनापुर तीर्थक्षेत्र निश्चित ही उत्तर भारत का पर्यटन केन्द्र बनेगा तथा वैज्ञानिकों की दृष्टि भी नई खोज की ओर केन्द्रित होगी।" Jain Educationa international For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012075
Book TitleAryikaratna Gyanmati Abhivandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1992
Total Pages822
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size26 MB
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