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गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती अभिवन्दन ग्रन्थ
साधु सानिध्य एक नजर में१. आचार्य श्री सुबलसागर महाराज ससंघ
सम्मेदशिखर २. आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ससंघ
ईसरी बाजार ३. आर्यिका श्री इन्दुमती माताजी ससंघ
सम्मेदशिखर मधुबन ४. आर्यिका श्री विशुद्धमती माताजी ससंघ
सम्मेदशिखर मधुबन ५. मुनि श्री गिरीशचंद महाराज (श्वेताम्बर)
टाटानगर ६. श्री जयंत मुनिजी (श्वेताम्बर)
पेटरवार बिहार यात्रा कहाँ-कहाँ ? (२ मार्च, १९८३ से ८ अप्रैल, १९८३ तक) १. भागलपुर, २. नाथनगर (चम्पापुर), ३. सुल्तानगंज, ४. जमालपुर, ५. मुंगेर, ६. नवादा, ७. हसुआ (नवादा), ८. राजगृही, ९. इस्लामपुर, १०. एकंगसराय, ११. छपरा, १२. मीरगंज, १३. पटनासिटी, १४. पटना, १५. सुल्तानपुर, १६. आरा, १७. डालमिया नगर, १८. औरंगाबाद, १९. गया, २०. चौपारन, २१. इटखोरी, २२. चतरा, २३. डाल्टेनगंज, २४. रांची, २५. रामगढ़, २६. पेटरवार, २७. गोमियां,२८. साड़म, २९. जरंडी बाजार, ३०. फुसरो, ३१. सम्मेदशिखर, ३२. देवघर बैजनाथधाम, ३३. झुमरीतलैया, ३४. हजारीबाग, ३५. गिरिडीह, ३६. सरिया, ३७. ईसरीबाजार, ३८. झरिया, ३९. धनबाद, ४०. कतरासगढ़, ४१. महेशपुर खरखरी, ४२. बोकारो स्टील सिटी, ४३. जमशेदपुर टाटानगर।
तर्ज- [यशोमति मैया से]
[श्रीमती त्रिशला जैन, लखनऊ] ज्ञानमती माताजी से पूछे जग सारा। जम्बूद्वीप नाम का, ये कौन द्वीप प्यारा । बोली मुस्कराती मैया, सुनो भाई सारे । बीचोंबीच सुमेर पर्वत नदी कमल प्यारे । जम्बूवृक्ष से ये शोभित हो . . . . . जम्बूवृक्ष से ये शोभित द्वीप है निराला इसीलिए प्यारा । ज्ञानमती . . . . . वृक्ष पर जिनेन्द्र भवन बहुत है चमकता जिनके दर्श पीने को है यह नर तरसता । हिमवन आदि पर्वतों से हो . . हिमवन आदि पर्वतों से बहे गंगधारा . इसीलिए प्यारा । ज्ञानमती . . . . . मेरु शिखर पर अब तक कोई नर न पहुँचा। आज का ये मानव देखो उसपे भी आ पहुँचा । पांडुक शिला पर जाकर हो . . . . . पांडुक शिला पर जाकर करो प्रभु की धारा । इसीलिए प्यारा। ज्ञानमती . . . . . जम्बूद्वीप का ये वर्णन ग्रंथों में पाया। हस्तिनागपुर में इसको धरा पर बनाया। "त्रिशला" ऐसे पर्वत को है हो . . . . . त्रिशला ऐसे पर्वत को है वन्दन हमारा। इसीलिए प्यारा। ज्ञानमती . . . . .
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