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गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती अभिवन्दन ग्रन्थ
जम्बूद्वीप ज्ञान ज्योति प्रवर्तन के शुभ अवसर पर प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी का भाषण
पूज्य ज्ञानमती माताजी और उपस्थित सज्जनो, भाइयो और बहनो!
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मुझे बहुत प्रसन्नता है कि इस शुभ अवसर पर आपने मुझे बुलाया है। जब ऐसा अवसर होता है, विशेष करके धार्मिक अवसर, जब देश दूर-दूर से बहन और भाई सब लोग आते है तो भारत की एकता का एक दृश्य देखने को मिलता है हमारा भारत एक ऐसा देश है, जहाँ प्रायः विश्व के सभी धर्म हैं। हमारी नीति रही है कि सभी धर्मों का आदर हो, किसी का भी किसी प्रकार से न अपमान हो, न नीचा करने की कोई बात हो क्योंकि सभी धर्म में कुछ ऐसे हिसाब होते हैं, जो व्यक्ति को ऊपर उठाने की कोशिश करते हैं। जो उसकी आत्मा को शक्ति देते हैं, ताकत देते हैं और जो जीवन की सख्त कठिनाइयां होती हैं, जैसे सभी के जीवन में होती हैं, चाहे कोई बड़ा हो या छोटा हो, उसका सामना करने की ताकत देता है। जैसे व्यक्ति को मिलता है, उसी प्रकार से अगर सारे देश में धर्म का आदर होगा तो सारा देश ऊपर उठेगा। हमारा प्रयत्न यही है कि इस देश को ऊंचा उठाया जाये। आर्थिक दृष्टिकोण से लोगों का जीवन स्तर ऊँचा उठे, गरीबी कम हो, पिछड़ापन हट जाये, लेकिन केवल आर्थिक प्रगति काफी नहीं है, यह शुरू से ही गांधीजी तथा अन्य नेताओं ने हमको बतलाया कि संग-संग भारत की संस्कृति, भारत की सभ्यता, भारत की परम्परा और भारत के ऊँचे विचार इन चीजों पर यदि ध्यान ही नहीं दिया जायेगा तो केवल आर्थिक प्रगति से देश महान् नहीं हो सकेगा।
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जम्बूद्वीप का वर्णन हमारे सभी शास्त्रों में है, जैसे बौद्धिक, जैन धर्म के और वैदिक में जो वर्णन है, वह केवल भारतवर्ष का नहीं है, उससे बहुत बड़ा है। इससे कोई यह न समझे कि हमारी नीयत दूसरों पर है या हम दूसरों से कुछ चाहते हैं। हम अपनी धरती से और अपनी जनता से ही संतुष्ट हैं। और यूं तो इनकी सेवा करना इतना बड़ा काम है कि प्रयत्न ही हम कर सकते हैं। यह सारी सफलता एक पुस्त या सारी पुस्त में भी नहीं मिल सकती है लेकिन कम से कम गांधीजी तो कहते थे कि वह इतनी बड़ी ही लड़ाई है जैसे स्वतंत्रता संग्राम सम्मुख लड़ाई के लिए भी जो शक्ति चाहिए और जो साहस चाहिए, वह धर्म के द्वारा ऊँची विचारधारा, ऊँचे मूल्यों के द्वारा मिल सकते हैं। यह बड़े दुःख की बात है कि मनुष्य जाति एक ऐसे समय जब विज्ञान के द्वारा जानकारी बहुत बड़ी है, जब बहुत-सी प्राकृतिक ताकतें काबू में आई है, बड़े-बड़े काम मनुष्य कर सकता है, ऐसे समय बजाय इसके कि इस ताकत को वो उसमें लगायें जो हमारे दुर्बल भाई और बहन हैं, उनको उठायें, जो दुर्बल देश है उनकी सहायता करें मनुष्य जाति इस ताकत को अकसर लड़ाई-झगड़े में लगाती है, एक-दूसरे से मुकाबला करने में, नीचे घसीटने में लेकिन कभी-कभी धर्म के बारे में भी आपने देखा होगा कि इधर कुछ कौमी दंगे हुए, जिससे कुछ ऐसी घटनाएँ हुई, जिससे किसी न किसी धर्म का, लगता था कि कोई अपमान करना चाहता है। यह हमारी भारतीय परम्परा में नहीं है और न किसी भी धर्म में ऐसा कहा है और मेरी जब-जब बातें हुई लोगों से, तो देखा कोई ऐसा नहीं चाहता है। हम सब लोगों की बड़ी कोशिश होनी चाहिए कि हम कौमी एकता एवं सब धर्म में आदर विशेष करें; क्योंकि ये अफवाह उड़ाई गई है कि शायद मैं हिन्दू धर्म को नहीं चाहती। यह कैसे हो सकता है? मैं एक धार्मिक परिवार से आई हूँ, एक परम्परा में मेरा पालन-पोषण हुआ, जिसमें धर्म का, भारत की संस्कृति, सभ्यता का आदर, यहाँ यह सिखलाया गया कि ऊँचा रखने के लिए कोई भी कुर्बानी देने के लिए तैयार होना चाहिए। तो हम तो ऐसा विचार कर ही नहीं सकते कि किसी भी प्रकार से धर्म पर कोई हमला हो, अपमान हो या नीचा दिखाया जाये हमारी उल्टी यही कोशिश है कि धर्म ऊँचा होगा तो हम समझते हैं समाज ऊंचा होगा, देश ऊँचा होगा और देश को बल मिलेगा जो अपने देश के भीतर की कठिनाइयां और अंतर्राष्ट्रीय कठिनाई का भी वह सामना कर सकेगा। जैन धर्म के जो कैचे विचार है, वे भी भारत की धरती से निकले हैं भारत की विचारधारा से निकले और स्वयं उसी विचारधारा पर अपना प्रभाव गहरा डाले है आप सबका जो भारत है व जो किसी का भी कुछ धर्म है मैं सोचती हूँ कि वे जैन धर्म के ऊँचे विचार है, उसको सभी मानें। हमें मालूम है कि हमारी आजादी की लड़ाई में कितना महत्व इन विचारों को गांधीजी ने दिया। ये चूँकि हमारे नेता थे और उनके चरणों में बैठ के हमने सीखा, तो हमारे भी रोयें-रोयें में ये चीजें आती है। हमारा आंदोलन अहिंसा का था, जो कि दुनिया के इतिहास में कभी नहीं देखा था सबसे पहले बड़ा आंदोलन इस रास्ते से हुआ। इसी प्रकार से हमें देखना है कि आजकल के जीवन में चाहे गरीबी हटाने का कार्यक्रम हो, दूसरा कार्यक्रम हो, देश को बलवान बनाने का कार्यक्रम हो, इसी रास्ते से बन सकता है अहिंसा के रास्ते से, सहनशीलता के रास्ते से, सादगी में रहने से, इतनी बातें भगवान महावीर ने अपने जो वचन से छोड़ी हैं हमारे संग वो चीजें हैं, जो देश को मजबूत करती हैं, ऊपर उठाती हैं। यह प्रसन्नता का विषय है कि पूज्य ज्ञानमती माताजी ने यह जम्बूद्वीप का मॉडल बनवाकर तथा जो हस्तिनापुर में बनाया जा रहा है, इससे लोग इसके बारे में ज्यादा से ज्यादा ठीक जानकारी प्राप्त कर सकेंगे और जहाँ-जहाँ यह रास्ते में जायेगी, वहाँ भी इसके द्वारा एक नई धार्मिक भावना जगेगी। मैं आपके सामने आभार ही प्रकट कर सकती हूँ कि ऐसे शुभ अवसर पर आपने मुझे बुलाया कि मैं इसका प्रवर्तन करूँ। यह देखकर मुझे बहुत खुशी है और माताजी को भी धन्यवाद देती हूँ।
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