SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 620
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती अभिवन्दन ग्रन्थ ॥ श्री महावीराय नमः ॥ जम्बूद्वीप ज्ञानज्योति प्रवर्तन समारोह के शुभ अवसर पर प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी की सेवा में सादर समर्पित सम्मान-पत्र महामना! भारत वसुन्धरा की अनुपम तेजोमयी पुण्यशालिनी धर्म-निरपेक्षता की साक्षात् प्रशम विभूति। आज हम जैन समाज के सभी नर-नारी आपको अपने मध्य पाकर भाव-विभोर होकर आपका स्वागत करते हुए हर्षायमान हैं। भारतरत्न! आर्यावर्त की परम तपस्विनी, न्याय प्रभाकर, विद्यावाचस्पति पूज्य आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती माताजी के शुभाशीर्वाद से जम्बूद्वीप ज्ञान ज्योति का प्रवर्तन समस्त भारतवर्ष में आपके उद्घोषक २० सूत्री कार्यक्रम को सत्य, अहिंसा के माध्यम से चरित्र निर्माण करने में सहायक होगा। इसी भावना से जम्बूद्वीप का इतिहास हमारे वैज्ञानिक समझ सकेंगे और उसकी पूर्ण खोज करके विश्व को भूगोल की सही स्थिति बता सकेंगे। इस परम पुनीत विचार को आपके कर-कमलों द्वारा मूर्तरूप प्राप्त हो रहा है, यह हमारा सौभाग्य है। श्रद्धामयी! आपने सदैव ही भगवान महावीर के पावन संदेश को विश्व के सम्मुख अपने भूत, वर्तमान गौरव की श्रृंखला में रखा है। भगवान महावीर स्वामी के २५००वें निर्वाण महोत्सव के शुभ अवसर पर धर्मचक्र का प्रवर्तन, भगवान बाहुबली स्वामी की मूर्ति की प्रतिष्ठापना सहस्राब्दि समारोह एवं जन-मंगलकलश का प्रवर्तन आपके प्रधानमंत्रित्वकाल में जिस प्रभावना एवं राष्ट्रीय चेतना के साथ सम्पन्न हुआ है, उसे समस्त विश्व श्रद्धा से सदैव स्मरण करता रहेगा। आज यह जम्बूद्वीप ज्ञान ज्योति का प्रवर्तन भी उसी श्रृंखला की मजबूत कड़ी के रूप में चिरस्मरणीय रहेगा। राष्ट्रनायक! आपने अपने जीवन के प्रत्येक क्षण को राष्ट्र के लिए समर्पित करके स्वतंत्रता एवं गणतंत्र की मर्यादा सुरक्षित रखी है उससे समस्त भारत गौरवान्वित है। जम्बूद्वीप ज्ञान ज्योति का प्रवर्तन दि० जैन त्रिलोक शोध संस्थान के तत्वावधान में हस्तिनापुर में बन रही जम्बूद्वीप रचना को अजर-अमर रखेगा, ऐसी आशा है। आपका शुभ मार्ग-दर्शन हम भारतवासियों को सदैव मिलता रहे, ऐसी कामना है। हम सभी यह मंगलकामना करते हुए आपका अभिनंदन करते हैं कि आप चिरायु हों। ४ जून, १९८२ हम हैं आपके गुणानुरागी : जम्बूद्वीप ज्ञानज्योति प्रवर्तन के पदाधिकारी एवं सदस्यगण Jain Educationa international For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012075
Book TitleAryikaratna Gyanmati Abhivandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1992
Total Pages822
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy