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वीर ज्ञानोदय ग्रन्थमाला
२१. चौंसठ ऋद्धि विधानः- इसमें तिलोयपण्णत्ति के आधार से चौंसठ ऋद्धियों के अर्घ्य हैं। पूजायें नव हैं। इस पूजा से अनेक रोग-शोक-दुःख
दूर हो जाते हैं। -भगवान नेमिनाथ:- हरिवंश पुराण के आधार से इसमें भगवान नेमिनाथ का जीवन चरित्र वर्णित है।
आगम दर्पण:- वर्तमान में दिगम्बर संप्रदाय में तेरापंथ और बीसपंथ चल रहे हैं। इस छोटी-सी पुस्तक में जैन शास्त्रों के आधार से पूजाविधि का वर्णन है, अतः इसका आगम दर्पण यह नाम सार्थक है। . समवसरण:- तिलोयपण्णत्ति के आधार से तीर्थंकर भगवान के समवसरण का इसमें संक्षिप्त वर्णन है। आदिपुराण, हरिवंश पुराण आदि ग्रंथों के आधार भी लिए गए हैं। गणधरवलय मंत्र (अर्थ सहित):- धवला पुस्तक नवमी के आधार से ‘णमो जिणाणं' आदि गणधर वलय मंत्रों के अर्थ का सुंदर विवेचन है। कई एक प्रकरण बहुत महत्त्वपूर्ण हैं।
दिगंबर जैनाचार्यः- श्री गुणधर आचार्य, श्रीधरसेनाचार्य आदि प्राचीन महान् ऐसे १४ आचार्यों का जीवनवृत्त वर्णित है। २७. ऐतिहासिक आर्यिकायें:- इसमें आदिपुराण, पद्मपुराण आदि ग्रंथों के आधार से ब्राह्मी-सुंदरी आदि लगभग २७ महान्-महान् आर्यिकाओं का
सुंदर वर्णन है। ध्यान साधना:- इसमें ज्ञानार्णव आदि ग्रंथों के आधार से पिंडस्थ पदस्थ ध्यान का वर्णन है। पिंडस्थ ध्यान की पार्थिवी आदि धारणाओं के एवं ह्रौं के ध्यान हेतु चित्र भी दिये गये हैं। अध्यात्मसार:- परमात्मप्रकाश आदि ग्रंथों के आधार से इसमें आत्मा के शुद्ध स्वरूप का अच्छा विवेचन है, अतः इसका अध्यात्मसार यह नाम सार्थक है। सप्त परमस्थान:- महापुराण के आधार से सज्जाति, सद्गार्हस्थ्य, आदि सात परमस्थानों का विवेचन है। एक-एक विषय को पुष्ट करने हेतु
जयधवला आदि अन्य ग्रंथों के उद्धरण भी दिये गये हैं। ३१. व्रतविधि एवं पूजाः- इसमें मुक्तावली आदि व्रतों की विधि एवं उन व्रत संबंधी पूजायें भी दी गई हैं। इसमें रोहिणी व्रत की विधि भी दी गई है। ३२. रोहिणी कथा:- 'बृहत्कथाकोश' संस्कृत पुस्तक से इस कथा का हिन्दी अनुवाद है। यह अच्छी रोचक कथा है।
गृहस्थ धर्म:- इसमें वसुनन्दि श्रावकाचार आदि के आधार से गृहस्थ के धर्म-कर्त्तव्य का संक्षिप्त व सरल विवेचन है। ३४. बोध कथायें:- इसमें संक्षेप से कतिपय पौराणिक लघु कथायें दी गई हैं। कुछ संस्कृत में रचित लघु कथायें भी हैं।
जैनदर्शन:- इसमें जैनदर्शन के मूल ऐसे कर्म सिद्धांत का संक्षिप्त व सरल विवेचन है।
दिव्यध्वनिः- अरिहंत देव की दिव्यध्वनि कब, कैसे व कितनी भाषाओं में खिरती है। इसका सरल विवेचन है। ३७. ज्ञानामृत:- इसमें आगम के आधार से अनेक प्रकरण संकलित हैं। अतः नाम के अनुसार ज्ञानरूपी अमृत भरा हुआ है। ३८. जैनगणितः- इसमें तिलोयपण्णत्ति आदि के आधार से जैनगणित का सुंदर विवेचन है।
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