SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 176
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५०] वीर ज्ञानोदय ग्रन्थमाला मन में सहसा यह विचार आता है कि यह नारी संन्यासिनी न होकर कहीं राजनीति के क्षेत्र में आई होती तो दूसरी इन्दिरा गाँधी सिद्ध होतीं। किन्तु यह तो उनसे भी महान् बन गई; क्योंकि इन्दिरा गाँधी समेत इस युग के सभी शीर्ष राजनेताओं ने माताजी के चरणों में शीश झुकाकर तथा उनका आशीर्वाद प्राप्त कर अपने को धन्य माना है। मैं परम पूज्या माताजी के चरणों में शत-शत वन्दना करते हुए उनके दीर्घ जीवन की कामना करता हूँ। शास्त्रों की महानतम ज्ञाता - डॉ० सूरजमल गणेशलाल जैन, मैनेजर श्री मांगीतुंगी दिगंबर जैन सिद्धक्षेत्र परमपूज्या १०५ ज्ञानमती माताजी शास्त्रों की महानतम ज्ञाता हैं। सिद्धांत वाचस्पति, न्याय प्रभाकर, गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती माताजी ने साहित्य जगत् में अनेक महत्त्वपूर्ण ग्रंथों की रचना करके अपना महानतम स्थान बनाया है। पूज्या माताजी इस युग की महानतम हस्ती हैं। __ उनके विषय में लिखना सूर्य को दीपक दिखाना है। उन्हें शत-शत वंदन । वे युगा-युगों तक रहें। उनका स्वास्थ्य सदैव अच्छा रहे, यही भावना भाता हूँ। माताजी का संपूर्ण परिवार विद्वान् व धार्मिक है। जम्बूद्वीप हस्तिनापुर का ही नहीं, वरन् विश्व का सर्वोत्तम स्थान है। इसका पूरा श्रेय प० पूज्य १०५ महातपस्वी ज्ञानमती माताजी को जाता है। उनके चरणों में हार्दिक नमन करता हूँ। आप एक भवावतारी हैं -नवनिधिराय जैन, सरधना हम जम्बूद्वीप की पावन प्रेरिका, अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी, जिनशासन प्रभाविका, प्रकाण्ड विदुषी, न्याय प्रभाकर, सिद्धान्त वाचस्पति, विद्या वारिधि भव्य जीवों की मोक्ष मार्गदर्शिका, कल्याणकारिणी, आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती माताजी को उनके ५९वें जन्म दिवस पर शुभ कामनाएँ भेंट करते हैं और वीर प्रभु से प्रार्थना करते हैं कि आप शतायु हों और इसी प्रकार स्वस्थ शरीर धारण करते हुए, ज्ञान प्रचार में अग्रसर रहें और भव्य जीवों को मोक्ष मार्ग दर्शाती रहें। हम यह पूर्ण विश्वास रखते हैं कि आप एक भवावतारी हैं और निश्चय से आप अगले भव में अनेक भव्य जीवों को अपनी दिव्य ध्वनि द्वारा देशना देकर मोक्ष महल में विराजमान् होंगी। आपके चरणों में शत-शत वन्दन । अनुपम रत्न - दीपक कुमार जैन, देवेन्द्र टैक्सटाइल्स, सरधना पूज्या माताजी के रूप में सम्पूर्ण दिगंबर जैन समाज को एक ऐसा अनुपम रत्न प्राप्त हुआ है, जिसकी आध्यात्मिक उपलब्धियों एवं धर्म प्रभावना ने समाज में धार्मिक जागृति पैदा की है। पूज्या माताजी के हस्तिनापुर आगमन के बाद से ही तीर्थ क्षेत्र में धर्म प्रभावना का बड़ा भारी प्रचार हुआ। माताजी के निर्देशन में जम्बूद्वीप की रचना एवं कमल मंदिर आदि ऐसी कई रचनाओं का निर्माण हुआ है, जिससे सम्पूर्ण विश्व में दिगंबरा समाज का गर्व से गप्तक ऊपर हो गया है। Jain Educationa international For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012075
Book TitleAryikaratna Gyanmati Abhivandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1992
Total Pages822
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy