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विषय खंड
पुनरुद्धारक श्रीमद् राजेन्द्रसूरि नन्दन करते हैं । 'श्री अभिधान राजेन्द्र' को संक्षिप्त कर एक 'शब्दांबुधि' नामक कोश की भी रचना गुरुदेव ने की है । इस लघुकोश में शब्दों पर विस्तृत व्याख्या नहीं है।
गुरुदेव की जन्म और देहविलय तिथि पौष शुक्ला सप्तमी है।। आपका जन्म भरतपुर में संवत् १८८३ में और शरीरत्याग संवत् १९६३ में मालवदेशस्थ राजगढ़ में हुआ । इस प्रकार आप आठ दशक तक जीवित रहै । दो- दो दशक के चार पादों में आपके जीवनक्रम को विभक्त करने पर उनका संवत् क्रम निम्नवत् होगा जो असाधारण वस्तु है
संवत् १८८३, आपका जन्म भरतपुर में हुआ । संवत् १९०३, श्री हेमधिजयजी के पास दीक्षा लेकर शास्त्रपठन किया । संवत् १९२३, घाणेराव (मारवाड़) के चार्तुमास में शैथिल्याचार को चुनौती
देकर आहोर (मारवाड़) में आचार्यपद लिया । संवत् १९४३, धानेरा (गुजरात) के चातुर्मास में 'अभिधान राजेन्द्र' महाकोष
के निर्माण की रूपरेखा तैयार की । जिसका अंतिमरूप सियाणा चातुर्मास में स्थिर किया गया । याने सियाणा के चातुर्मास में
इसकी रचना प्रारंभ की जो १९६० में सूरत में समाप्त हुई । संवत् १९६३, राजगढ़ (मालवा) में आपका स्वर्गवास हुआ।
गुरुदेव की परंपरा में उन्हीं से दीक्षित आचार्य श्री यतीन्द्रसूरिजी महाराज विद्यमान हैं; जो इनके उत्तरदायित्त्वपूर्ण पद पर शोभित हैं ।
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