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. . प्रस्तावना
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औदार्य, धैर्य, गाम्भीर्य, प्रभावकता, विद्वत्ता, विद्वजन-सत्कार आदि का सदगुणोंका साक्षाद् अनुभव हुआ था, जिसको मैं भूल नहि सकता। उन्ही सूरिजीके इस हीरक महोत्सवअभिनन्दन-प्रसंग पर परमात्मासे हम अन्तःकरणसे प्रार्थना करते हैं कि वे जिनशासनकी - अहिंसामय प्रवचनकी उन्नति करते हुए आरोग्यके साथ चिरकाल विजयवन्त रहे।
मेरी मातृभाषा गूजराती होने पर भी हिन्दी भाषामे यहाँ प्रयास किया है, इसमें जो कुछ त्रुटि हो, उसको सुज्ञ पाठक सुधार कर पढ़े। ऐसी तक देनेके लिए मैं सम्पादक-मण्डलका आभार मानता हूँ।
विक्रमसंवत् २०१५ ___ माघपूर्णिमा वटपद्र (बड़ौदा)
सद्गुणानुरागी-. लालचन्द्र भगवान् गान्धी [निवृत्त जैनपण्डित-बडौदाराज्य]
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