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शुभाशीष/श्रद्धांजलि
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ
सहज स्वभावी
श्रीमती हीरा जैन, ईशुरवारा स्वभाव में सहजता, वाणी में मृदुता, हृदय में सरलता, ज्ञान में विशालता के धनी पंडित जी को मेरी विनम्र श्रृंद्धाजलि है। उनका आदर्श अनूठा एवं अनुकरणीय है।
आप लेखनी, वाणी और कर्म के धनी, जैन दर्शन एवं साहित्य मनीषी, बहुमुखी प्रतिभा से सम्पन्न, जैन समाज के सशक्त जागरूक प्रहरी प्राचार्य पं. दयाचंद जी साहित्याचार्य हमारे नगर के गौरव एवं सम्मानित व्यक्ति थे। अखिल भारतवर्ष में आपकी कीर्ति व्याप्त थी।
श्रद्धांजलि
नंदनलाल जैन सराफ, सिरोंज यह जानकर प्रसन्ता हो रही है, कि स्वर्गीय पंडित दयाचंद जी 'साहित्याचार्य' के स्मृति ग्रंथ का प्रकाशन किया जा रहा है। उन्होंने श्री वर्णी भवन विद्यालय मोराजी, सागर में अध्यापक से लेकर प्राचार्य के पद पर लगभग 55 वर्षों तक सेवा की, साथ ही विद्यालय के सहस्र विद्यार्थियों को व्याकरण आदि एवं जैन धर्म का अध्ययन कराया। पंडित जी प्रतिदिन प्रात: उदासीन आश्रम में श्रावकों को धर्मश्रवण कराते थे। अगर कोई श्रावक को शंका होती थी तो बड़े ही सरल सहज ढंग से उसका समाधान कर देते थे। आपने जैन धर्म का काफी प्रचार - प्रसार किया। संपादक मंडल एवं प्रकाशन सहयोगियों को आदर पूर्वक बधाई देता हूँ। मैं पंडित जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
शुभकामना संदेश
शिखर चंद कोठिया
अध्यक्ष भारतीय जैन मिलन सागर मुझे यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि संस्कृत के महान विद्वान डॉ. पं. दयाचंद जी साहित्याचार्य की स्मृति में “साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ" ग्रंथ प्रकाशित होने जा रहा है । पंडित जी मृदुभाषी, सरल स्वभावी, उत्कृष्ट मनीषी, एवं जैन दर्शन के एक आधार स्तंभ थे ।उनका व्यक्तित्व काफी लोकप्रिय था । वे अपने व्यवहार से सभी के आदरणीय थे। वे न केवल श्री गणेश दिगम्बर जैन संस्कृत संस्थान (महाविद्यालय) के प्राचार्य थे बल्कि सम्पूर्ण जैन समाज के अच्छे मार्गदर्शक मनीषी थे। मैं इस अवसर पर अपनी आदरांजलि प्रेषित करते हुए पंडित जी के दिवंगत चरणों में नत मस्तक हूँ।
विनतभाव सहित
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