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दिवंगत विद्वानों के जीवन परिचय
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ वीसवीं सदी के दिवंगत विद्वानों के जीवन परिचय
नाम
पिता
सन्
श्री पं. भगवानदास जी भाईजी शाहपुर का संक्षिप्त जीवन परिचय
ब्र. किरण जैन वर्णी भवन मोराजी सागर (म.प्र.) : पं भगवानदास भायजी
श्री कालू राम जी भायजी जन्मस्थान
शाहपुर (मगरोन), जिला-सागर (म.प्र.)
1877 समाधिमरण
अगहनवदी 14 संवत 2023 सन् 1966 उपाधि
अध्यात्मवेता, संगीतरत्न प्रारंभिक शिक्षा : प्राईमरी शासकीय हिन्दी शाला शाहपुर आत्मज
उनके पाँच पुत्र थे। 1. स्व. पं. माणिकचंद्र जी न्याय काव्य तीर्थं सागर मोराजी प्राध्यापक 2. स्व. पं श्रुतसागर जी जैन प्राचीन न्यायकाव्यतीर्थ कटनी, प्राध्यापक 3. डॉ. पं. दयाचंद्र जी साहित्याचार्य जी प्राचार्य मोराजी, सागर 4. स्व. पं. धर्म चंद्र जी शास्त्री संगीतज्ञ अध्यापक शाहपुर
5. पं. अमरचंद्र जी प्रतिष्ठाचार्य शाहपुर व्यक्तित्व एवं संगीतत्व 1. पूर्व पुण्य कर्म के उदय से आपको स्वाध्याय की स्वयं रूचि उत्पन्न हुई। मंदिर में अथवा निवासग्रह
में सतत शास्त्र स्वाध्याय के माध्यम से धार्मिक ज्ञान स्वयं अर्जन किया। परम पू. वर्णी गणेश प्रसाद जी न्यायाचार्य के समागम से भाईजी का स्वाध्याय और बढ़ गया, आप 24 घण्टों में 11 घण्टे स्वाध्याय से ज्ञान की वृद्धि करने में पुरुषार्थ करने लगे। उनके ज्ञान का बहुमान पूज्य वर्णी जी महाराज करते थे जबलपुर में वर्णी जी ने सप्तम प्रतिमा तक के व्रतपालन करने की दीक्षा प्रदान की। उस समय से आपका आध्यात्मिक ज्ञान बढ़ता गया। जैन मंदिर में आप प्रात: और रात्रि को एक - एक घण्टा समाज में प्रवचन करने लगे। सन् 1945 में शाहपुर में वर्णी जी के सद् उपदेश से श्री पुष्पदंत दि. जैन विद्यालय का उद्घाटन किया गया । आप निस्वार्थ उसमें कुछ वर्षों तक अध्यापन कार्य करते रहे । मंदिर में 20 वर्ष की अवस्था से प्राय: 50 वर्ष तक शास्त्र प्रवचन किया। इसके बाद पं. अमरचंद्र जी ने शास्त्र प्रवचन की परम्परा को निस्वार्थ संचालित किया।
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