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आगम संबंधी लेख
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ - सागारधर्मामृत, अष्टम अध्याय, श्लोक 7 27. न चात्मघातोऽस्ति वृषक्षतौ वपुरूपेक्षितुः । कषायावेशत: प्राणान् विषाद्यैहिँसतः स हि ।
- सागारधर्मामृत, अष्टम अध्याय, श्लोक 8 28. आपगासागरस्नानमुच्चय: सिकताश्मनाम् । गिरिपातोऽग्निपातश्च लोकमूढं निगद्यते ॥
- रत्नकरण्डक श्रावकाचार- 1/22 29. मूंड मुड़ाये जो सिधि होई, स्वर्ग ही भेड़ न पहुँची कोई। 30. धर्मामृत (सागार), भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, 8/8 का विशेषार्थ, पृष्ठ 312 31. निंदन्तु नीतिपुणा यदि वा स्तुवन्तु, लक्ष्मी: समाविशतु गच्छतु वा यथेष्टम्
अद्यैव वा मरणमस्तु युगान्तरे वा न्याय्यात् पथः प्रविचलन्ति पदं न धीराः ॥ - नीतिशतकम्
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