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आगम संबंधी लेख
संदर्भ सूची
निर्वाण भक्ति - आ. कुन्दकुन्द
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2. रत्नकरण्ड श्रावकाचार सटीक श्लोक - 2
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धम्मो वत्थु सहावो उत्तमखमादि दह विधो धम्मो ।
रयणत्तयंहि धम्मो जीवादीरक्खणं धम्मो ॥ कार्तिकेयानुप्रेक्षत्त ॥ यतोऽभ्युदयसिद्धिः स धर्मः । - आ. सोमदेव नीतिवाक्यामृत - 1
यागो यज्ञः क्रतुः पूजा सपर्येज्याध्वरो मखः ।
मह इत्यपि पर्यायवचनान्यर्चना विधे: || महापुराण (आ. जिनसेन) 67 / 193
जिणवर चरणम्बुरुहं जे णमंति परममत्तिराएण ।
ते जम्मबेलिमूलं खणंति वरभाव सत्थेण ॥ भावपाहुड - 153
परमात्मप्रकाश (1-123), योगसार - 42
जिणविम्ब दंसणेण णियत्तणिकाचिदस्स विमिच्छतादिकम्मकलावस्स
खयदंसणादो | धवला 6 / 19-9, 22 /427/9
9.
जिनप्रतिमा जिनसारिखी कही जिनागम माँहि । (समयसार नाटक) अ. 13 / 1 10. जो जाणादि अरहंतं दव्वत्त गुणत्त पज्जयत्तेहिं ।
सो जाणादि अप्पाणं मोहो खलु जादि तस्स लयं ॥ प्रवचन - 80
11. वसुनन्दि प्रतिष्ठा पाठ (4/69-70)
12. रत्नकरण्ड श्रावकाचार 119
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ
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