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शुभाशीष/श्रद्धांजलि
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ
शुभाशीष यथानाम तथा गुण को चरितार्थ करने वाले अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सरस्वती पुत्र भद्र परिणामी डा.
पंडित दयाचंद्र जी साहित्याचार्य जी को मैने नजदीकी से देखा है । उन्होंने जैन जगत के धर्म, दर्शन, इतिहास, शिक्षा समाज एवं संस्कृति को लेकर अपनी मधुर वाणी और लेखनी से महान कार्य किया है। पंडित जी ने श्री गणेश प्रसाद दि. जैन संस्कृत महाविद्यालय वर्णी भवन मोराजी सागर (म. प्र.) में प्राचार्य पद पर रहकर पूरा जीवन लगाया है। ऐसे महामनीषी को लेकर मेरी पहले भावना थी कि पंडित जी | का अभिनंदन ग्रंथ प्रकाशित हो परंतु ऐसा संभव नहीं हो सका । अब ब्रह्मचारणी
बहिन किरण जी (पंडित जी की पुत्री) की भावनानुसार स्मृति ग्रंथ प्रकाशित होने जा रहा है । अत: इस महान ग्रंथ के संपादन के गुरूतर भार का निर्वहन करने वाले संपादक मंडल, प्रकाशन समिति, परामर्शदाता एवं विद्वतजनों को मंगलमयी शुभाशीष ।
आशा है कि इस स्मृति ग्रंथ से देश विदेश में रहने वाले ज्ञानी भव्यात्माओं को शुभ संदेश, ज्ञान और मार्गदर्शन मिलेगा।
- उपाध्याय निर्भय सागर
आशीर्वाद ___पूज्य मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज ने विद्वत वर्ग के सामने चर्चा करते हुए कहा कि पंडित दयाचंद जी बड़े सरल स्वभावी थे, युवा पीढ़ी को संस्कारित करने में बहुत दक्ष थे, यहाँ तक कि बच्चों को घर घर से पाठशाला में पढ़ाने के लिए लाते थे । गणेश प्रसाद जी वर्णी की आज्ञा का ऐसा पालन किया कि संस्था के प्रति जीवन भर समर्पित रहे अंत समय तक सेवा भाव से
| विद्यार्थियों को पढ़ाते रहे, ऐसे कर्तव्य परायण विद्वान के स्मृति ग्रन्थ निकालने के लिए मेरा बहुत बहुत आशीर्वाद है ।
मुनि सुधासागर
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