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कृतित्व/हिन्दी
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ (३) सम्यक् चारित्र चिन्तामणिका आलोकः - प्रबुद्ध आविष्कर्ता ने तृतीय चिन्तामणि का अन्वेषण कर तेरह किरणों के द्वारा विश्व के हितार्थ विषयों को प्रकाशित किया - (१) किरण - चारित्र का लक्षण -
हिंसानृतचौर्येम्यो मैथुन सेवा परिग्रहाभ्याम् च । पाप प्रणालि काभ्यो, विरति: संज्ञस्य चारित्रम् ।
(समंत भद्राचार्य) चारित्र के भेदप्रमेद, श्रावकधर्म का कथन, श्रमणधर्म का कथन, निश्चय मोक्षमार्ग एवं व्यवहार मोक्षमार्ग का प्रकाशन। (२) किरण - सम्यक् चारित्र लब्धि से सम्पन्न चार प्रकार के साधुओं को प्रणाम किया है । एवं उनकी
चारित्रसाधना का व्याख्यान है। (३) किरण ने श्रीनेमिनाथ के श्रेष्ठ वैराग्य को दर्शाते हुए मोक्षलक्ष्मी को वरण करने का परम आदर्श
प्रकाशित किया है। (४) किरण - दर्शाती है कि भ. महावीर ने ध्यानरूपी तलवार के द्वारा कर्मरूपी सेना को विध्वस्त कर
मुक्ति नगरी का साम्राज्य प्राप्त किया है। किरण - इन्द्रियसंयम और प्राणीसंयम का सप्रमाण वर्णन कर संयम की साधना में निष्ठ आचार्य उपाध्याय साधुसंघ को प्रणाम किया गया है। किरण - सिद्धपरमात्मा को सविनय प्रणाम कर षट् आवश्यक कर्तव्यों को प्रकाशित किया गया है। किरण - श्रमणधर्म के सर्वस्व पाँच आचारविशेषों की व्याख्या को प्रकाशित किया गया - (१) दर्शनाचार, (२) ज्ञानाचार, (३) चारित्राचार, (४) तपाचार, (५) वीर्याचार । श्रमणों की यही आध्यात्मिक सम्पत्ति है। किरण - वैराग्य विकास का प्रबल आधार द्वादश भावनाओं का विशद व्याख्यान किया गया है ।
वैराग्य उपावन माई चिन्तो अनप्रेक्षा भाई (छहढाला) (९) किरण - मुक्ति कान्ता को वशीभूत करने का परम्परया कारण धर्मध्यान और साक्षात्कारण शुक्लध्यान
को सप्रमाण आलोकित किया गया है। (१०) किरण - मुनिधर्म के अंतर्गत आर्यिका माताओं के मूलगुणों का वर्णन द्रव्य क्षेत्र भाव की अपेक्षा
आगमानुकूल किया गया है।
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