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कृतित्व / हिन्दी
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ ड्रायवर का यह भाव नहीं रहता कि मैं किसी को मारूं परन्तु असावधानी अवश्य की । हम लोग चलते हैं परन्तु चलते समय किसी जीव को मारने का भाव नहीं रखते, मात्र असावधानी करते हैं और उसी का फल प्राप्त करते हैं ।
'म्रियतां जीवो मा वा' जीव मरे अथवा न मरे, परन्तु प्रमाद से चलनेवाले जीव के हिंसा अवश्य आगे दौड़कर आती है। हम लोग जानबूझकर तो किसी की हिंसा नहीं करते परन्तु प्रमादवश अपने द्वारा जीवों की हिंसा हो जाती है। ऐसी हिंसा से भी हमें बचना चाहिये । अहिंसा, जैनधर्म का सर्वप्रमुख सिद्धान्त है, सत्यभाषण आदि धर्म । इसकी साधना करनेवाले हैं। अहिंसा के सिवाय अनेकान्त, अपरिग्रह, तथा स्वतन्त्रता आदि अनेक सिद्धान्त भी सार्वभौम सिद्धांतों में आते हैं।
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रईस और सईस
धार्मिक बातों पर प्रकाश डालते हुए पं. दयाचन्द्रजी साहित्याचार्य ने कहा कि जिस प्रकार कडुवी तँबड़ी किसी काम की नहीं, उसमें यदि कोई चीज रखी जाती है तो वह कडुवी हो जाती है । परन्तु वही कडुवी बड़ी सूख जाने पर नदी से पार होने में सहायक हो जाती है। इसी प्रकार मनुष्य का शरीर यद्यपि किसी काम
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नहीं, मल-मूत्र से भरा हुआ अशुचिका पिण्ड है तथापि वह संसार सागर से पार होने में परम सहायक है। मोक्ष की प्राप्ति मनुष्य के शरीर से ही होती है। देवों के वैक्रियक शरीर में यह क्षमता नहीं है कि वह किसी देव को मोक्ष प्राप्त करा सकें । यहाँ यह व्याप्ति नहीं है कि जो जो मनुष्य हैं वे सब मोक्ष को प्राप्त होते है। परन्तु यह व्याप्ति है कि जिनको मोक्ष प्राप्त होता है वे मनुष्य शरीर से ही मोक्ष प्राप्त करते हैं। संसार के समस्त प्राणी सुख चाहते है और दुःख से डरते हैं । आत्मानुशासन में सुखप्राप्तिका उपाय बतलाते हुए गुणभद्रस्वामी एक बहुत सुन्दर श्लोक कहा है। वह यह है -
सर्व: प्रेप्सति सत्सुखाप्तिमचिरात्सा सर्वकर्मक्षयात् सद्वृत्तात्स च तच्च बोधनियतं सोऽप्यागमात्स श्रुतेः । सा चाप्तात् स च सर्वदोषरहितो रागादयस्तेऽप्यत
स्तं युक्त्या सुविचार्य सर्वसुखदं संतः श्रयन्तु श्रियै ॥
संसार के सभी प्राणी शीघ्र ही सुख प्राप्तियों की इच्छा करते हैं। वह सुख प्राप्ति समस्त कर्मो के क्षय से होती है, समस्त कर्मो का क्षय सम्यक्चारित्र से होता है, सम्यक्चरित्र तत्त्व ज्ञानपर अवलम्बित है, तत्त्व ज्ञान आगम से प्राप्त होता है, आगम की उत्पत्ति श्रुति- दिव्य ध्वनि से होती है, दिव्यध्वनि आप्त से
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