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________________ कृतित्व/हिन्दी साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ संयमधर्म का बाह्य उपकरण पिच्छिका मयूर पंख निर्मित पिच्छिका दिगम्बर जैन साधुओं की चर्या के लिये अथवा संयम की साधना के लिये अत्यावश्यक है कारण कि मयूरपंखों को प्राप्त करने के लिये हिंसा आदि पाप नहीं करने पड़ते है। प्रतिवर्ष कार्तिक मास में मयूर अपने जीर्ण पंखों का स्वयं ही त्याग करते हैं। पंखों को प्राप्त करने के लिये मयूरों को मारना या किसी छल से सताना नहीं पड़ता है। स्वयं पतित मयूर पंख सरलता से वनों में प्राप्त हो जाते हैं। इसलिये श्रमण परम्परा को हिंसादि पाप दूषित नहीं करते हैं, यद्यापि दिगम्बर श्रमण ज्ञान का साधन, शास्त्र, संयम का साधन पिच्छिका, शुद्धि का साधन कमण्डलु स्वीकार करते हैं, तथापि उनमें भी मोहभाव न होने से श्रमण परिग्रह पाप के भागी नहीं होते हैं। मयूर पंखों का अग्रभाग स्वयं इतना कोमल तथा हल्का होता है कि उनके द्वारा शोधन करने से सूक्ष्म, कमजोर एवं कोमल जन्तुओं को कष्ट नहीं होता और उनकी सुरक्षा हो जाती है इसलिये मयूर पंखो की पिच्छिका को दि. साधु अंगीकार करते हैं। पिच्छिका के पाँच उपयोग छत्रार्थ चामरार्थं च, रक्षार्थ सर्वदेहिनाम् । यंत्र मंत्र प्रसिद्धयर्थ, पंचैते पिच्छिलक्षणम् ।। (मंत्रलक्षणशास्त्र) तात्पर्य - पिच्छिका के पाँच लक्षण - आवश्यकतानुसार पिच्छिका के प्रयोग (1) छत्र के लिये (2) चमर के लिये, (3) मंत्रसिद्धि के लिये, (4) यंत्रसिद्धि के लिये, (5) जीवसुरक्षार्थ । मयूर पंखों की पवित्रता शरीरजा अपि मयूरपिच्छ - सर्पमणि - शुक्ति- मुक्ताफलादयो लोके शुचित्व मुपागताः ।। सन्ति मयूर पिच्छेत्र प्रतिलेखन मूर्तिजम् । तं प्रशंसन्ति तीर्थेशाः, दयायै योगिनां परम् ।। तात्पर्य मयूर पंख प्राण्यंगज होते हुए भी पवित्र होते हैं, क्योंकि शरीरज होते हुए भी मयूर पंख, सर्पमणि, सीप मुक्ताफल (मोती), गजमुक्ता को लोक में पवित्र माना गया है। तीर्थेश उस मयूर पंख की प्रशंसा करते है जिससे प्रतिलेखन होता है और वह दया का उपकरण हैं। पिच्छिका के पाँच गुण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012072
Book TitleDayachandji Sahityacharya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Digambar Jain Sanskrit Mahavidyalaya Sagar
PublisherGanesh Digambar Jain Sanskrit Mahavidyalaya Sagar
Publication Year2008
Total Pages772
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size25 MB
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