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साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ संस्था के प्राचार्य की स्मृति
श्री गणेश दिग. जैन संस्कृत महाविद्यालय के संस्थापक प्रातः स्मरणीय पूज्य श्री क्षुल्लक 105 श्री गणेश प्रसाद जी वर्णी महाराज की प्रेरणा से आदरणीय श्री भगवानदास जी भायजी शाहपुर वालों ने अपने तीन पुत्रों पं. माणिकचंद जी न्यायकाव्य तीर्थ, पं. श्रुत सागर जी शास्त्री एवं डॉ, दयाचंद जी साहित्याचार्य
इस संस्था संस्कृत एवं धर्म के अध्ययन हेतु प्रेरित किया, एवं यहाँ का संस्थागत छात्र जीवन अपनाने हेतु आर्शीवाद दिया, आदरणीय पंडित माणिकचंद जी इस संस्था में जीवन पर्यन्त शिक्षक के रूप में कार्यरत रहे । श्री डॉ.पंडित दयाचंद जी साहित्याचार्य जी सन् 1950 से इस संस्था में विद्वान शिक्षक के रूप में कार्यरत रहे । आपने इस संस्था के प्राचार्य पद को भी सुशोभित किया । सागर नगर के ख्याति प्राप्त मूर्धन्य मनीषी डॉ. दयाचंद जी ने अखिल भारत वर्षीय स्तर पर भी विद्वत सभाओं में विद्वत परिषद में एवं अन्यत्र भी अपनी विद्वत्ता से समाज के लोगों को प्रभावित किया ।
उसका सारा जीवन ही इस संस्कृत महाविद्यालय की सेवामें एवं पूज्य वर्णी जी महाराज की प्रेरणा एवं आशीर्वाद से पूर्ण समर्पण भाव से व्यतीत हुआ है ।
ऐसे मनीषी विद्वान के निधन से समाज को एक अपूर्णीय क्षति हुई है। ऐसे विरल व्यक्तित्व सम्मान व्यक्त करने हेतु संस्था एवं समाज ने कृतज्ञतापूर्वक एक स्मृति ग्रन्थ प्रकाशित किये जाने का निर्णय किया है। इस स्मृति ग्रन्थ में उनकी जीवन यात्रा, समर्पित सेवाओं का दिग्दर्शन होगा। ऐसे सेवा भावी विद्वान डॉ. दयाचंद जी के साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियां स्मृति ग्रन्थ प्रकाशित किये जाने में हम सब का गौरव है ।
हम सभी उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुये स्मृति ग्रन्थ में सहयोग करके बीर प्रभु से शांति एवं सदगति की कामना करते हैं।
शुभकामनाओं सहित
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(क्रांतकुमार सराफ) मंत्री
श्री गणेश दिग. जैन संस्कृत महाविद्यालय सागर (म.प्र.)
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