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कृतित्व/हिन्दी
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ (11) वृहस्पाराशर - संहिता - जो मनुष्य प्राणियों का वध करके अपने पितरों की तृप्ति मांस से करना
चाहता है वह मूर्ख चंदन को जलाकर उसके कोयलो को बेचना चाहता है। (12) किसी देवी भक्त कविका कथन है कि तीनों जगत की माता, सब जीवों पर दया करने वाली देवी क्या
चाण्डालों के समान पशुवध तथा मद्य मांस आदि दिये जाने से प्रसन्न हो सकती है।
(विश्व मानव परिषद् आगरा के प्रपत्र से उद्धृत) मांस का अंग अण्डा -
अधिकांश मांसलोलुपी मनुष्यों का विचार है कि अण्डा मांस नहीं है, उसके खाने में मांस भक्षण का कोई दोष नहीं। वह प्राणी का अंग भी नहीं है, वह तो मुर्गी के माध्यम से उत्पन्न हुआ एक प्राकृतिक फल है, इसलिए उसके सौकीन मनुष्य उसको “सफेद आलू" कहने लगे है। परन्तु युक्ति पूर्ण विचार करने पर उक्त विचार असत्य एवं व्यर्थ सिद्ध होते हैं । अण्डा प्राणी का अंग है क्योंकि वह मुर्गे के संयोग से ही मुर्गी के गर्भाशय में उत्पन्न हुआ है। रज एवं वीर्य के संयोग से उत्पन्न अण्डा मांस ही है ।अण्डज प्राणियों के गर्भजन्म कहा गया है । और गर्भज प्राणियों के मांस मय शरीर अवश्य होता है। उस सफेद आलू में जीव भी है क्योंकि माता की ऊष्मा (शारीरिक गरमी) से वह बढ़ता भी है, यदि ऊष्मा न मिले तो वह सड़ जाता है । अण्डा बड़ा हो जाने पर उसमें से पक्षी का बच्चा निकलता है। पक्षी को संस्कृत में द्विज कहते हैं क्योंकि वह पक्षी, माता के उदर से तथा अण्डे से इन दो स्थानों से उत्पन्न होता है। इससे सिद्ध होता है कि अण्डा एक प्राणी है और उसके खाने में मांस भक्षण का दोष अवश्य है।
अण्डा के भक्षण से रसनालालसा होने से भावहिंसा, सूक्ष्म कीटाणुओं का वध होने से द्रव्य हिंसा, इन्द्रिय विषयों का उत्तेजन और अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं यह धर्म शास्त्र कहते है। इसके विषय में धर्म ग्रन्थों का समर्थन आधुनिक वैज्ञानिक और डाक्टर्स भी करते है। कुछ वैज्ञानिक एवं डॉक्टरों के उद्धरण निम्न प्रकार है - (1) अण्डे की जरदी में कोलेस्ट्रोल' नामक भयानक तत्त्व अधिक होता है जिससे दिल की बीमारी, हाइ ब्लड प्रेशर, गुरदे की बीमारी, पित्त की थैली में पथरी आदि रोग पैदा होते है।
(डॉ. जे.ऐमन विल्कन्ज, डॉ. कैथेराइन निम्मो) (2) अण्डे की सफेदी निरीधात (गंदी चीज) होती है। इससे केंसर, लकवा, शरीर की सूजन जैसे भयंकर रोग पैदा होते है।
(डॉ. रावर्ट ग्राम, प्रो, इरविन डेविडसन) (3) अण्डे की सफेदी में 'एविडीन' नामक भयानक तत्त्व होता है जिससे ऐग्जिमा रोग उत्पन्न होता है।
(डॉ. आर.जे. विलियम्स, डॉ. मारग्रेट बोस - इंग्लैण्ड)
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