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कृतित्व/हिन्दी
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ लोग कहते हैं कि अहिंसा देवी नि:शस्त्र है। मैं कहता हूँ यह गलत ख्याल है। अहिंसा देवी के हाथ में अत्यंत शक्तिशाली शस्त्र है वह अहिंसा रूप शस्त्र प्रेम के उत्पादक होते हैं संहारक नहीं।
(आचार्य श्री विनोवा भावे - ज्ञानोदय भाग 1 पृ. 564) रिश्वत, बेईमानी, अत्याचार अवश्य नष्ट हो जावें यदि हम भ. महावीर की सुन्दर और प्रभावशाली शिक्षाओं का पालन करें।
(श्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री वर्धमान देहली अप्रैल 53 पृ. 59) भारतीय संस्कृति में संवर्द्धन से उन लोगों ने उल्लेखनीय भाग लिया है जिनको जैन शास्त्रों से स्फूर्ति प्राप्त हुई थी। वास्तुकला, मूर्तिकला वाड्मय सब पर ही जैन विचारों की गहरी छाप है।
(डॉ. सम्पूर्णा नन्द जी - जैन धर्म दि. जैन पृ. 11) • जैन धर्म देश का बहुत प्राचीन धर्म है, इसके सिद्धांत महान् है, और उन सिद्धांतों का मूल्य उद्धार,
अहिंसा और सत्य है । गाँधी जी ने अहिंसा और सत्य के जिन सिद्धांतों को लेकर जीवन भर कार्य किया, वही सिद्धांत जैन धर्म की प्रमुख वस्तु है। जैन धर्म के प्रतिष्ठापकों तथा भ. महावीर स्वामी ने अहिंसा के कारण सबको प्रेरणा दी थी।
(श्री गोविन्द वल्लभपन्त - जैन संदेश आगरा 12-2-51 पृ. 2) यदि आपको केवल विज्ञान का ज्ञान है तो आप अणुवम तक जाकर रूक जावेंगे । आप विश्व को ध्वंसात्मक शक्तियों से रोक नहीं सकते । ऐसी स्थिति में विध्वंश से बचने के लिए विज्ञान तथा आध्यात्मिक दर्शन के मध्य एक पुल हमें बचा सकता है।
(जवाहरलाल नेहरु अहिंसा वाणी वर्ष 8, अंक 9, दिसम्बर 58) • मतभेदों को दूर करने के लिए युद्ध करना या खून बहाना मानवता के हित में नहीं है । आज देश देश के
बीच का अंतर समाप्त हो गया है, और युद्ध रहित संसार में ही आज की सुरक्षा हैं। (अहिंसा वाणी दिसम्बर 1059-अमरीकी राष्ट्रपति आइजन हावर के, देहली में राजभोग के समय उद्गार)
अहिंसा और हिंसा के फलों की विचित्रता - 1. एक व्यक्ति हिंसा को नहीं करके भी हिंसा के फल को भोगने का पात्र होता है और एक व्यक्ति हिंसा
करके भी अहिंसा के फल को भोगने का पात्र होता है। जैसे किसी मनुष्य ने एक दिन नदी पर जाकर मछली मारने का दृढ़ निश्चय किया पर वह घर पर कोई विशेष कारण वश मछली मारने के लिए न
जा सका तो उसको द्रव्य हिंसा न होने पर भी भाव हिंसा होने से हिंसा फल की प्राप्ति होती है। 2. एक पुरूष को अल्पहिंसा उदयकाल में बहुत फल को देती है और किसी पुरूष को बहुत हिंसा
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