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व्यक्तित्व
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ
खण्ड -2
जीवन आइना ( व्यक्तित्व) करूणा व कठोरता के अपूर्व संगम थे, पंडित जी
__ आचार्य सुनील सागर ऐसे लोगों में स्वर्गीय पंडित दयाचंद जी साहित्याचार्य का नाम आता है जो नारियल के समान बाहर से कठोर किंतु अंदर से कोमल होते है। श्री गणेश दिगम्बर जैन संस्कृत महाविद्यालय (सागर) में रहते हुए मुझे उनके इस रूप का अनेक बार दर्शन हुआ | स्वयं से संबंधित तीन संस्मरण लिख रहा हूँ।
संभवत: आठवीं कक्षा (सन् 1990) की बात है । मुझे विद्यालय में आए एक वर्ष ही हुआ था तथा यह प्रारंभिक सत्र था। एक दिन छात्रवृत्ति आवेदन पत्र पर हस्ताक्षर कराने में पंडित जी के पास गया । उन्होंने कहा-पहले अभिषेक पाठ (संस्कृत) कंठस्थ करके सुनाओ तब हस्ताक्षर करूंगा।
__ अभिषेक पाठ कौन सा है, यह मुझे ज्ञात नहीं था। सो मैंने श्री मज्जिनेन्द्र इत्यादि अभिषेक पाठ की जगह इसी छंद से शुरू होने वाले स्वस्ति मंगल पाठ को कंठस्थ कर लिया और दूसरे ही दिन साइड वाले दरवाजे से डरते डरते पहुँच गया पंडित जी के पास। वे कुछ लिख रहे थे। मैंने आवेदन पत्र उनकी टेबिल पर धीरे से रख दिया। उन्होंने थोड़ी नजर उठा के देखा और बोले अभिषेक पाठ सुनाओ।
मैंने बिना रूके स्वस्ति मंगल पाठ सुना डाला । हस्ताक्षर के लिए हाथ में कलम उठाकर । वे कुछ गुस्सा दिखाते हुए बोले कैसे विद्यार्थी हैं, अभिषेक पाठ आता नहीं और हस्ताक्षर कराने चले आते है।..........और उन्होंने बिना कुछ कहे हस्ताक्षर कर दिए, मोहर लगा दी।
नौवीं कक्षा की बात है । उस समय मैं संपूर्णानंद संस्कृत महाविद्यालय रीवा से संबंधित पूर्व मध्यमा प्रथम वर्ष तथा लौकिक शिक्षा नौवीं कक्षा में था। दोनों परीक्षा की समय सारिणी देखकर मेरे जैसे आठ दस विद्यार्थी असमंजस्य में पड़ गए कि एक साथ, एक ही दिन, एक ही समय, में दो-दो प्रश्न पत्र कैसे हल किए जा सकेंगे और परीक्षा केन्द्रों में आधे एक कि.मी. का अंतर है।
अंतत: पंडित जी के पास पहुँचे । सारी बात कही, उन्होंने सुनी और कहा इसमें मैं क्या कर सकता हूँ। हिम्मत बनाकर मैंने कहा आप तो केन्द्राध्यक्ष हैं।
वे बोले मैं केन्द्राध्यक्ष हूँ इसका मतलब कुछ भी करता रहूँ। ........और उन्होंने डॉटकर सभी को भगा दिया।
थोड़ी देर बाद उन्होंने शिक्षकों से परामर्श किया। शाम को जब वे प्रार्थना स्थल पर उपस्थित हुए तो भय लगा कि अब और डॉट पड़ने वाली है, किंतु पंडित जी ने यह सूचना दी कि जिन विद्यार्थियों के प्रश्न पत्रों का समकाल है वे एक घंटे पहले (प्रात: 6:30) परीक्षा कक्ष पर पहुँच जाएँ तथा निर्धारित समय वाले
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