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शुभाशीष / श्रद्धांजलि
डॉ. दयाचंद जी साहित्याचार्य के चरणों में समर्पित मेरा अति नम्र प्रणाम
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जिनकी प्रज्ञा प्रखर महान
लीन रहे नित ज्ञान और ध्यान अध्यात्म पर लिखते रहे विज्ञान
देव शास्त्र गुरु पर रहा बहुमान पंडित जी को मेरा अति नम्र प्रणाम ।
मुख प्रसन्नता की थी खान
नित करते थे
वत्सल, हर पल झरता था
गुरूपी गुण के थे भण्डार
क्रोध लोभ नहिं माया मान
पंडित जी को मेरा अति नम्र प्रणाम
भक्ति
प्रभु
गाकर जिनेश्वर का गुणगान
भविजन को श्रुत का दिया दान
जैन पूजा कर चिंतन
लिख दिया अनूठा काव्य चिंतन पंडित जी को मेरा अति नम्र प्रणाम ।
भव्यों का करने कल्याण
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ
स्वयं उम्र का धरा न ध्यान
लिख डाला एक काव्य महान
जिसको नाम दिया 'जैन पूजा काव्य महान'
पंडित जी को मेरा अति नम्र प्रणाम ।
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डॉ. श्रीमती जयंती जैन पूर्व प्राचार्या
श्री दिगम्बर जैन महिलाश्रम, सागर
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