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________________ समयसुन्दर की रचनाओं में साहित्यिक तत्त्व ३६३ विवेच्य रचनाओं में विस्मयजनक प्रसंगों का प्राचुर्य है। कुछेक संक्षेप में नीचे प्रस्तुत हैं - अग्निभूति और वायुभूति नामक दो पंडित नंदीवर्धन मुनि से शास्त्रार्थ में पराजित होने पर रात्रि में वे मुनि को तलवार से मारने के लिए उद्यत हुए, किन्तु उनके आश्चर्य की सीमा न रही जब उनके हाथ ही पत्थर के बन गये । इन्हीं मुनि ने जब एक गूंगे व्यक्ति से बातचीत की, तो समस्त ग्रामीण आश्चर्य से चकरा उठे । २ प्रद्युम्न ने द्वारिका में आकर जितने कौतुहल - युक्त कार्य किये वे, सब के सब अद्भुत रस के स्रष्टा हैं। उदाहरणार्थ - प्रद्युम्न द्वारा वानर का आविर्भाव करना, मात्र एक वानर द्वारा रानी सत्यभामा के विराट् उद्यान के समस्त फल खा जाना व सारे पेड़-पौधे नष्ट कर देना। इसी तरह एक अश्व की अवतारणा करना, अश्व द्वारा खेतों को तृणशून्य और कूपों को जलशून्य करना, भानुकुमार के विवाह हेतु बनाये हुए सारे पकवानों को खा जाना आदि... आदि । ३ इलापुत्र, मेतार्य आदि जिन व्यक्तियों या साधनों ने जिस अवस्था में कैवल्य प्राप्त किया, उसका वर्णन अद्भुत रस का परिपाक करता है । ४ इन्द्र दशार्णभद्र के अहं को नष्ट करने निमित्त महावीर स्वामी को वन्दन करने के लिए आता है। उसके हाथी का चित्रण प्रत्येक व्यक्ति को असंभावित-सा लगता है एक हाथी तणइ आठ दंतसूला, दंत - दंत आठ-आठ वावि सोहइ । वावि-वावि आठ-आठ कमल तिहां, आठ-आठ पांखड़ी पेखतां मन्त्र मोहइ ॥ पत्र - पत्रइ बत्तीस बद्ध नाटक पड़इ, कमल बिचि इंद्र बइठउ आणन्दइ । आठ वलि आगलिं अग्र महिषी खड़ी, वीर नई एण विधि इन्द्र वांदइ ॥ श्रेणिक द्वारा राजर्षि प्रसन्नचन्द्र की गति पूछने पर भगवान् महावीर ने नरकगति बतायी और कुछ क्षणों पश्चात् ही मोक्ष। भगवान् की इस अटपटी उक्ति से राजा बड़ा आश्चर्यित होता है। १. द्रष्टव्य - शांब - प्रद्युम्न - चौपाई (५.२७-२९) २. द्रष्टव्य • वही (५.२० - २३ ) ३. द्रष्टव्य - शांब - प्रद्युम्न - चौपाई (१०-११ ) -- ४. द्रष्टव्य - समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि (साधुगीतानी) ५. समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, श्री दशार्णभद्र गीतम् (५-६) ६. वही, श्री प्रसन्नचन्द्र राजर्षि गीतम् Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012071
Book TitleMahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabh
PublisherJain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
Publication Year
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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