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________________ २८८ महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व २७. दण्डक-वृत्ति २८. वाग्भट्टालंकार-वृत्ति २९. कल्याणमन्दिर-वृत्ति ३०. चत्तारि-परमंगाणि-व्याख्या ३१. मेघदूत - प्रथम श्लोक ३२. माघ-काव्य-वृत्ति ३३. लिंगानुशासन-चूर्णि ३४. ऋषिमण्डल-टिप्पण ३५. वेरथय-वृत्ति ३६. मेघदूत-वृत्ति ३७. कुमारसम्भव-वृत्ति ३८. षडावश्यक-बालावबोध ३९. दीवालीकल्प-बालावबोध २.२ पद्य शैली पद्य छन्दोबद्ध रचना का नाम है। इस शैली में निबद्ध रचनाएँ पदों अर्थात् काव्य के रूप में हैं। समयसुन्दर महान कवि थे। उनकी पद्य-शैली प्रौढ़ एवं समृद्ध है। उनके पद्य-साहित्य में जो विशेषताएँ प्राप्त होती हैं, वे हैं – सरलता, स्पष्टता, प्रभावोत्पादकता, प्रवाहशीलता और लयात्मकता। उनकी पद्य-शैली का एक और जो महत्त्वपूर्ण गुण या तत्त्व है, वह है औदात्य। इससे उनकी पद्य-शैली भी भव्य और चित्ताकर्षक बनी है। संक्षेप में, कविप्रवर समयसुन्दर की पद्य शैली आवर्जक एवं सहृदयग्राही है। वह समस्त साहित्यिक तत्त्वों से सम्पृक्त है। इस शैली में लिखने के लिए उन्होंने संस्कृत. प्राकृत, प्राचीन हिन्दी, सिन्धी आदि भाषाओं को माध्यम बनाया है। कवि की निम्नलिखित कृतियाँ पद्य-शैली में प्रणीत हैं - १. भावशतक २. ऋषभ भक्तामर ३. वीर २७ भव ४. मंगलवाद ५. श्री जिनसिंहसूरि पदोत्सव ६. चौबीसी ७. चौबीस जिन-गुरुनामगर्भितस्तोत्र ८. अल्पबहुत्वगर्भितस्तव ९. शांब-प्रद्युम्न-चौपाई १०. दानादि चौढालिया ११. चार प्रत्येकबुद्ध-रास १२. मृगावती-चौपाई १३. सिंहलसुतप्रियमेलक-रास १४. पुण्यसार -रास १५. नलदमयन्ती-चौपाई १६. सीताराम-चौपाई १७. वल्कलचीरी-रास १८. शत्रुञ्जय-रास १९. वस्तुपाल-तेजपाल रास २०. थावच्चासुत-चौपाई २१. विहरमान वीसी स्तवन २२. क्षुल्लककुमार-रास २३. चंपकश्रेष्ठि-चौपाई २४. गौतमपृच्छा-चौपाई २५. धनदत्त चौपाई २६. साधुवंदना २७. ऐरवत क्षेत्र-चौबीसी २८. पुंजरत्न ऋषि-रास २९. केशी-प्रदेशी-प्रबन्ध ३०. द्रौपदी-चौपाई Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012071
Book TitleMahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabh
PublisherJain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
Publication Year
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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