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________________ २६९ समयसुन्दर की रचनाएँ समयसुन्दर ना गीतड़ा, कुम्भे राणा ना भींतड़ा। * समयसुन्दर रा गीतड़ा, कुम्भे राणा रा चीतड़ा। अर्थात् समयसुन्दर के गीतों की कोई थाह नहीं है, उनका पार पाना उतना ही दुष्कर है, जितना महाराणा कुम्भा द्वारा निर्मित स्तम्भों या चित्रों का पार पाना। प्रस्तुत अध्याय में हमने समयसुन्दर की जिन रचनाओं का परिचयात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया है, उनकी प्रामाणिकता असन्दिग्ध है। कतिपय विद्वानों ने समयसुन्दर की कई अन्य रचनाओं का उल्लेख किया है, परन्तु नाहटा बन्धुओं को उनकी प्रामाणिकता पर संदेह है। श्री मोहनलाल दलीचन्द देसाई ने उनकी निम्नलिखित अतिरिक्त रचनाओं का उल्लेख किया है - १. पुण्याढ्य रास, २. संवादसुन्दर, ३. गुणरत्नाकर-छन्द, ४. गाथालक्षण, ५. रेवती सज्झाय, ६. बीकानेर आदिनाथ वीनति आदि। लालचन्द भ० गान्धी समयसुन्दर की रचनाओं में निम्नांकित आठ रचनाएँ भी सम्मिलित करते हैं - १. शील छत्तीसी, २. बारह व्रत रास, ३. श्रीपाल रास, ४. प्रश्नोत्तर चौपाई, ५. हंसराज बच्छराज रास, ६. जम्बूरास, ७. नेमि-राजीमती रास, ८. अन्तरिक्ष गौड़ी छन्द। हीरालाल रसिकदास के अनुसार समयसुन्दर ने 'जीवविचार वृत्ति' की रचना भी की थी। श्री पुरणचन्द नाहर ने उनकी 'जिनदत्तर्षि कथा' नामक एक अन्य कृति का उल्लेख किया है। उक्त चारों विद्वानों का निधन हो जाने से हम उनके द्वारा उल्लिखित ग्रन्थों के बारे में कोई उल्लेखनीय जानकारी प्राप्त नहीं कर सके। यद्यपि हमने इन विद्वानों के कौम्बिकजनों से भी सम्पर्क स्थापित किया, लेकिन वे इन ग्रन्थों के बारे में कोई जानकारी नहीं दे सके। खैर ! फिर कभी देव-संयोग से समयसुन्दर के अवशिष्ट ग्रन्थ मिले, तो हम उन पर शोध करने की जिज्ञासा रखते हैं और प्रस्तुत प्रबन्ध में रही अपूर्णता को पूर्ण करने का प्रयास करेंगे। *** १. द्रष्टव्य - सीताराम-चौपाई, भूमिका, पृष्ठ ५७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012071
Book TitleMahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabh
PublisherJain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
Publication Year
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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