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________________ 5 पद्य ५ 5 5 n समयसुन्दर की रचनाएँ २६१ असंदिग्ध रूप से प्रकट हो जाती है। कृति के अन्तिम पद्य अनुपलब्ध होने से इसका रचना-काल ज्ञात नहीं हो पाया है। रचना के छन्दों में एकरूपता नहीं है। कवित्त, सवैया आदि छन्द प्रयुक्त हुए हैं। अधिकांश पद्य सवैया में हैं। इस पद्य-रचना में क्रम एवं प्रवाह का भी अभाव है। प्रस्तुत रचना में राजुल द्वारा उसकी चरम विरह-अवस्था का हृदयस्पर्शी चित्रण किया गया है। प्रकृति की विविध उपमाओं से उसके विरह-भाव को संयोजित किया गया है। रचना में राजुल का नेमिनाथ के साथ हुए आठ पूर्वभवों के पारस्परिक संबंधों का भी उल्लेख किया गया है। ऊपर हमने राजुल के विरह-गीतों का परिचय प्रस्तुत किया है। इन गीतों के अतिरिक्त अन्य कुछ लघु गीत भी उपलब्ध होते हैं, जो इस प्रकार हैं - ६.७.१.१.८ श्री नेमिनाथ उलम्भा उतारण भास पद्य ४ ६.७.१.१.९ श्री नेमिनाथ राजीमती गीतम् पद्य ५ ६.७.१.१.१० नेमिनाथ गीतम् ६.७.१.१.११ नेमिनाथ जिन गीतम् पद्य ५ ६.७.१.१.१२ श्री नेमिनाथ गीतम् पद्य २ ६.७.१.१.१३ श्री नेमिनाथ गीतम् पद्य ३ ६.७.१.१.१४ श्री नेमिनाथ गीत पद्य३ ६.७.१.१.१५ नेमिनाथ गीत पद्य ३ ६.७.१.१.१६ श्री नेमिनाथ गीतम् पद्य २ ६.७.१.१.१७ नेमिनाथ गीतम् पद्य३ ६.७.१.१.१८ श्री नेमिनाथ गीतम् पद्य ४ ६.७.१.१.१९ नेमिनाथ गीतम् पद्य ३ ६.७.१.१.२० नेमिनाथ गीतम् पद्य ४ ६.७.१.१.२१ श्री नेमिनाथ स्तवनम् ६.७.१.१.२२ श्री नेमिनाथ गूढा गीतम् ६.७.१.१.२३ नेमिनाथ गीतम् (गीत की दो पंक्तियाँ प्राप्त हैं) ६.७.१.१.२४ नेमि श्रृंगार वैराग्य ६.७.१.१.२५ चारित्र-चूनड़ी ६.७.१.१.२६ गूढा गीत पद्य ३ ६.७.१.१.२७ नेमिनाथ गीतम् पद्य३ ६.७.१.१.२८ नेमिनाथ गीतम् ६.७.१.१.२९ श्री नेमिनाथ गीतम् पद्य ३ m m d m x m पद्य ३ m पद्य ३ अपूर्ण पद्य ४ पद्य पद्य ५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012071
Book TitleMahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabh
PublisherJain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
Publication Year
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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