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महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर साधु मृषा भी बोल सकता है। चौंतीसवाँ विचार- इसमें साधु सूई आदि श्रावकों से कैसे लेवे एवं देव-इस विधि का सप्रमाण वर्णन किया गया है। पैंतीसवाँ विचार -- इसमें चौदह गुणस्थानों का अतिविस्तारपूर्वक विवेचन किया गया है। इसके अतिरिक्त इस अधिकार में गुणस्थानों से सम्बन्धित अनेक प्रश्नों को भी उठाया गया है और उनका उचित समाधान किया है। छत्तीसवाँ विचार - इसमें आचारांग' और 'प्रज्ञापना सूत्र' के आधार पर यह बताया है कि वनस्पति का जो बीज वृक्ष से संयुक्त होता है, उसमें जीव होता है और जब वह बीज सूख जाता है, तब उसमें जीव नहीं रहता है। साथ ही प्रस्तुत प्रकरण में बीज सूख जाने पर उसको पुनः सजीव करने की विधि भी बतलाई गई है। सैंतीसवाँ विचार - इसमें आचारांग सूत्र' का प्रमाण देते हुए यह सिद्ध करने का प्रयास किया गया है कि वनस्पति में भी मनुष्य की तरह निम्न धर्म होते हैं- जन्म, वृद्धि, सचित्तता, म्लानता, आहारक, अनित्यता और अशाश्वतता। अड़तीसवाँ विचार- इसमें औदारिक, औदारिक मिश्र, वैक्रिय, वैक्रिय-मिश्र, आहारक, आहारक-मिश्र और कर्मण- इन सात योगों के स्वरूप का विवेचन किया गया है। उनतालीसवाँ विचार- इसमें 'बृहत्कल्पभाष्य' के आधार पर स्थविरकल्पी और जिनकल्पी मुनियों का प्रतिलेखन-काल बताया गया है। चालीसवाँ विचार- इसमें कर्म-प्रकृतियों की शुभ और अशुभ दृष्टि से तथा प्रकृतिबन्ध स्थितिबन्ध, अनुभागबन्ध, और प्रदेशबन्ध के कर्ता के तीव्र और मन्द भावों के आधार पर भेदोपभेद किये गये हैं। इसमें इक्षु-रस का दृष्टान्त भी दिया गया है। इकतालीसवाँ विचार- इसमें बताया गया है कि पुद्गल, औदारिक, वैक्रिय, तेजस्, भाषा, आनापान, मन और कर्म – इन सात प्रकारों से आत्मा परिणमित होती है। इसके अतिरिक्त द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव की अपेक्षा से तथा बादर और सूक्ष्म के आधार पर सभी पुद्गलों के भेदानुभेद भी उल्लिखित हैं। बयालीसवाँ विचार - इसमें 'खीइसाहवीयगमण.....' इस गाथा का अर्थ बताया गया है। तियालीसवाँ विचार - इसमें बताया गया है कि भरत ऐरावत क्षेत्र में जघन्यत: १० तीर्थङ्कर हो सकते हैं। चौवालीसवाँ विचार - इसमें बताया गया है कि स्फटिक और मणि की तरह आत्मा
और कर्म का संयोग भिन्न-भिन्न है, अतः मोक्ष-प्राप्ति संभव है। पैंतालीसवाँ विचार- इसमें जैनमतानुसार परमाणु का लक्षण बताया गया है। छियालीसवाँ विचार - इसमें शुक्लपाक्षिक तथा कृष्णपाक्षिक जीवों के लक्षण बताये
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