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________________ साहित्य राजस्थानी जैनसाहित्य । voue प्रसिद्ध रामकथा को प्रचारित की है । इस बात को विशेष स्पष्ट करने के लिये मैं छोटी-बड़ी पचासों रचनाओं की ऐसी सूची यहां नीचे दे रहा हूं जो सब के लिये समानरूप से उपयोगी है। १ व्याकरण:-बाल शिक्षा, उक्ति रत्नाकर, उक्ति समुच्चय, कातंत्र वालावबोध, पंचसंघि बालावबोध, हेम व्याकरण भाषा टीका, सारस्वत बालावबोध । २ छदः-पिंगलशिरोमणि, दुहा चंद्रिका, राजस्थानी गीतों का छंद पन्थ, वृत्तरत्नाकर बालावबोध। ३ अलंकारः-वाग्भट्टालंकार बालावबोध, विदग्धमुखमंडन बालावबोध, रसिकप्रिया बालावबोध । ४ काव्य टीकाएं:-मर्तृहरिशतक भाषाटीकाद्वय, अमरुशतक, लघुस्तव बालाववोध, किसनरुकमणी बेलिकी ६ टीकाएं, धूर्ताख्यान कथासार कादंबरी कथासार । ५ वैद्यका-माधवनिदान टब्बा, सन्निपातकलिका टब्बाद्वय, पथ्यापथ्य टब्बा, वैद्यजीवन टब्बा, शतश्लोकी टब्बा, फुटकर प्रयोगों के संग्रह तो राजस्थानी भाषा में हजारों पत्र हैं। ६ गणित:-लीलावती भाषा चौपाई, गणितसार चौपाई । ७ ज्योतिषः-लघुजातकवचनिका, जातककर्मपद्धति बालावबोध, विवाहपडल बालावबोध, भुवनदीपक बालावबोध, चमत्कार चिंतामणि बालवबोध, मुहूर्तचिन्तामणि बालावबोध, विवाहपडल भाषा, गणित साठीसो, पंचांग नयन चौपाई, शुकनदीपिका चौपाई, अंगफुरकन चौपाई, वर्षफलाफल सज्झाय । हीरकलश-राजस्थानी दोहों आदि में यह ज्योतिष संबंधी अत्यन्त महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। इसकी रचना सं० १६५७ में हीरकलश नामक खरतरगच्छीय जैन यतिने की है । पद्य संख्या १००० के लगभग है । साराभाई मणिलाल नवाबने गुजराती विवे वन के साथ अहमदाबाद से प्रकाशित भी कर दिया है । ८ नीतिः-चाणक्यनीतिटब्बा, पंचाख्यान चौपाई । मखलाक अलमोहुश्नै-इस फारशी ग्रन्थ का 'नीतिप्रकाश' के नाम से मुहणोत संग्रामसिंह रचित उपलब्ध हुआ है जो बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। पंच ख्यान का गद्य में अनुवाद भी मिला है, जिसकी भाषा भी बहुत सुन्दर है। ९ऐतिहासिकः-मुंहणोत नैणसी की ख्यात तो राजस्थान के इतिहास के लिये अनमोल ग्रंथ है । यह सर्वविदित है । मुहणोत नैणसी जैन श्रावक थे । इन्होंने मारवाड़ के ग्रामों के संबंध में एक और भी महत्त्वपूर्ण ग्रंथ लिखा था, जिसकी प्रति उनके वंशज वृद्धराजजी के भतीजे बुधराजजी मुहणोत के पास है । इस ग्रंथ को प्रकाश में लाना अत्यन्त आवश्यक है।
SR No.012068
Book TitleRajendrasuri Smarak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year1957
Total Pages986
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
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