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श्रीमद् विजयराजेन्द्रसूरि-स्मारक-ग्रंथ हिन्दी जैन का यूनान है । काथतोय लालसागर के निकटवर्ती प्रदेश हैं । इस प्रकार इन प्रदेशों में जैन धर्म के प्रचार के रूप में जैन कथाऐं भी पहुंची होंगी और वहाँ के साहित्य में उन्होंने महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया होगा। जैन कथाओं का साहित्यिक अनुशीलन
जैन धर्म का दर्शनविशेष की अभिव्यक्ति का माध्यम होते हुये भी इसकी कथायें विशुद्ध साहित्य की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं यह बात निःसंकोच रूप से स्वीकार की जा सकती है। सत्य तो यह है कि कथासाहित्य का ध्येय लोकरुचि का मनोरंजन मात्र ही नहीं है, अपितु इसके साथ-साथ अपने पाठकों को विचारों की सामग्री भी प्रदान करना है । आधुनिक कथासाहित्य की यही मूल चेतना है । आज की सभी उत्कृष्ट कहानियां और उपन्यास निश्चय रूप से किसी न किसी विचारदर्शन से प्रभावित हैं-चाहे वह फ्रायड का मौनवाद हो अथवा मार्क्स का द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद अथवा गांधीजी का विचारदर्शन । आज वे कथाकार मूल रूप से इन विचारधाराओं से प्रभावित अपनी संवेदनाओं के अनुकूल कल्पना के सहारे कथानक चुनते हैं, पात्रों की योजना करते हैं और प्रभावोत्पादक शैली द्वारा कथा साहित्य की सृष्टि करते हैं । एक निश्चित संवेदना ( जिसे अन्य शब्दों में कथाकार का उद्देश ही कहा जा सकता है ) कथानक, पात्र और शैली
आज के कथासाहित्य के ये ही मूल तत्व हैं । आज से हजारों वर्ष पूर्व रचे गये जैन कथासाहित्य ने अपने भीतर इन मूल तत्वों का समावेश कर कहानी-कला के मर्म को भली भांति समझ लिया था।
आधुनिक कथा साहित्य की भांति जैन कथा साहित्य भी भावगत प्रवृत्ति की दृष्टि से एक निश्चित विचारदर्शन को लेकर चला है और वह विचारदर्शन है उसका कर्म वाद। इस मानव-संसार में मनुष्य अपने बुरे कर्मों द्वारा नाना प्रकार की यातनाएं भोगता है । एक जन्म में ही नहीं, अनेक जन्मों में उसे बूरे कर्मों का फल प्राप्त होता है । संसार में रहते हुये जिन प्राणियों के साथ उसने बूरा व्यवहार किया था किसी न किसी रूप में उसके दुष्कमों का बदला चुकाया जाता है । इसके विपरीत शुभ कर्म करने वाले सदैव सुख प्राप्त करते हैं। पापात्माओं द्वारा सताये जाने पर देव आदि उनकी रक्षा करते हैं । एक जन्म में कष्ट सहकर दूसरे जन्म में वे अनन्य सुख का भोग करते हैं । कर्मवाद की इसी भावभूमि को ले कर प्राय समस्त जैन कथासाहित्य रचा गया है । मनुज समाज को बुराई से बचने और भलाई में प्रवृत्त होने की प्रेरणा देना ही इस कथासाहित्य की