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________________ " जैनधर्म की प्राचीनता और उसकी विशेषताएँ ” ले० ० उदयलाल नागोरी, बीकानेर भारतवर्ष के सब धर्मों में सबसे प्राचीन धर्म है तो जैनधर्म ही । अगर किसी धर्म में गहन से गहन श्रेष्ठ और सत्य दर्शन ( Philosophy ) है तो जैनधर्म में ही । वर्तमान काल के वैज्ञानिक पुरावे मिलते हैं तो जैनधर्म में ही । जैनधर्म में विविध विषयों पर नाना प्रकार के ग्रन्थ रचित मिलते हैं जो किन्हीं जैन भंडारों में संग्रहीत विद्यमान हों-जैसे अध्यात्म योग, नवतत्व, कर्मयोग, जीवादि के रहस्य आदि से सम्बन्धित अनेक ग्रन्थ प्रस्तुत हैं । कितने ही प्रन्थ व्यवहार और चरित्र निर्माण में योग देते हैं । I इस प्रकार हम धर्मरूपी सागर पर दृष्टिपात करें तो सर्वाधिक महत्वशाली जीवप्रधान धर्म जैनधर्म ही दृष्टिगोचर होगा | जैनधर्म में प्रन्थावलि की कभी नहीं, पर वे ग्रन्थ अभी तक पूरे प्रकाश में नहीं आये हैं और अनुपलब्ध भी हैं । इसीलिए पाश्चात्य विद्वानों के मन में जैनधर्म के प्रति कुत्सित और घृणित विचार पेदा हुए कि जैनधर्म विशेष प्राचीन धर्म नहीं है' । कुछ विद्वानोंने जैनधर्म पर नास्तिक होने का दोषारोपण किया, कुछ ने इसको बौद्धधर्म की शाखा माना, कुछ ने इसकी उत्पत्ति शंकराचार्य के पश्चात् मानी और कुछने तो इतना दुस्साहस किया है कि उन्होंने यहाँ तक कह डाला कि जैनधर्म के पार्श्वनाथ और भगवान महावीर कल्पित थे और सच्चे निर्माता गौतमबुद्ध ही थे । इस प्रकार पहले तो यहाँ इन भ्रमात्मक मतों का समाधान कर जैनधर्म की प्राचीनता प्रकट की जायगी और तत्पश्चात् इसकी मुख्य २ विशेषताओं पर क्रमसे विचार होगा । जैनधर्म बौद्धधर्म की शाखा नहीं है। पाश्चात्य विद्वान लेथब्रिज, एलफिस्टन, वेवर आदि ने जैनधर्म को बौद्धधर्म की शाखा माना, पर जर्मनी के प्रोफेसर सर जेकोबी (JAKOBEE ) नामक विद्वान ( सर जेकोबी को जैनधर्म की खोज करने का शौक था, इसलिए उसने जैनधर्म के ग्रन्थोंका अध्ययन किया ) ने जैनधर्म और बौद्धधर्म का पूर्ण अध्ययन करने पर यह सिद्ध किया कि जैनधर्म बौद्धधर्म की शाखा नहीं है और १. अनेक पाश्चात्य विद्वानों ने इसको प्राऐतिहासिक, प्रागार्य और स्वतंत्र धर्म होना लिखा है । अतः पेसा समस्तस्पर्शी आक्षेप अनुचित है। संपा० दौलतसिंह लोढ़ा । ( ६७ ) ६५
SR No.012068
Book TitleRajendrasuri Smarak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year1957
Total Pages986
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
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