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________________ श्रीसौधर्मबृहत्तपागच्छीय गुर्वावली । पूज्यपाद व्याख्यानवाचस्पति, लक्ष्मणीतीर्थोद्धारक आचार्यवर्यश्रीयतीन्द्रसूरीश्वरान्तेवासि-मुनिदेवेन्द्रविजय " साहित्यप्रेमी". शासनपति-श्रीमहावीरस्वामी. १ श्रीसुधर्मस्वामीजी। १५ श्रीचन्द्रसूरिजी। २ श्रीजम्बूस्वामीजी । १६ श्रीसामंतभद्रसूरिजी। ३ श्रीप्रभवस्वामीजी । १७ श्रीवृद्धदेवसूरिजी + ४ श्रीशय्यंभवसूरिजी। १८ श्रीप्रद्योतनसूरिजी। ५ श्रीयशोभद्रसूरिजी। १९ श्रीमानदेवसूरिजीx श्रीसंभूतिविजयजी। २० श्रीमानतुंगसूरिजी ।* श्रीभद्रबाहुस्वाभीजी। २१ श्रीवीरसूरिजी। ७ श्रीस्थूलिभद्रसूरिजी। २२ श्रीजयदेवसूरिजी। (श्रीआर्यमहागिरिजी। २३ श्रीदेवानन्दसूरिजी। श्रीआर्यसुहस्तिसूरिजी २४ श्रीविक्रमसूरिजी। (श्रीसुस्थितसूरिजी। २५ श्रीनरसिंहसूरिजी। ] श्रीसुप्रतिबद्धसूरिजी। २६ श्रीसमुद्रसूरिजी। १० श्रीइन्द्रदिन्नसूरिजी। २७ श्रीमानदेवसूरिजी । ११ श्रीदिन्नसूरिजी। २८ श्रीविबुधप्रभसूरिजी। १२ श्रीसिंहगिरिसूरिजी। २९ श्रीजयानन्दसूरिजी। १३ श्रीवज्रस्वामिजी। ३० श्रीरविप्रभसूरिजी। १४ वज्रसेनसूरिजी। ३१ श्रीयशोदेवसूरिजी। + आपने कोरंटकपुर में श्रीमहावीरजिनबिंब की स्थापना-प्रतिष्ठा की। - सरस्वति, लक्ष्मी, पद्मा, जया, विजया और अपराजिता ये छः देवियाँ आपकी भक्त थीं। तक्षशिला (गजनी) में उत्पन्न महामारी के निवारणार्थ नाडोल (राजस्थान) में रहकर आपने लघुशान्ति-स्तोत्र बनाया। * श्रीभक्तामरस्तोत्र और नमिऊणस्तोत्रादि जैसे महान् चमत्कारी स्तोत्रों की आपने रचना की है। 6-ये श्रीहरिभद्रसूरिजी के मित्र थे। इन्होंने गिरिनार पर्वत पर घोर तपस्या करके विस्मरण हुये सूरिमंत्र को प्राप्त किया। (२०)
SR No.012068
Book TitleRajendrasuri Smarak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year1957
Total Pages986
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
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