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________________ उपकारी गुरुदेव श्रीराजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज बालचन्द जैन " साहित्यरत्न " राजगढ़ (धार) आया और प्रकाश कर चला गया, किन्तु हम तो अब भी अन्धकार में ही भटक रहे हैं । जिसने सुप्तावस्था से हमें जागृत किया, जीवनज्योत जला कर प्रकाश दिया, जीवनपुष्प चढ़ा कर समाज एवं राष्ट्र को अलंकृत किया, स्वयं जला दुसरों को आत्मसाधना का पाठ पढ़ाया, जीवन भर चैन न ली, लेता भी कैसे, आजतक संसार के किसी भी महापुरुषने चैन नहीं ली और उसी परम्परा को उसे चलाना था, वह कैसे आराम ले सकता था ? कैसे उसको और उसके उपकारों को भूल सकते हैं । सांसारिक अवस्था में भी उनके सामने अपना लक्ष साधने की ही इच्छा थी । यही विचार था कि मैं मानव बन कर आया हूँ तो किस प्रकार इस बहुमूल्य वस्तु का उपयोग करूँ ? | वैभव जिसे डगा न सका - डिगाता भी कैसे ? सभी महापुरुषोंने अपनी साधना की आड़ में आनेवाले वैभव को ठुकराया है। क्या ऋषभ और क्या महावीर ? सभी के सामने वैभव दीवार बन कर खड़ा हो गया था, किन्तु सूर्य का प्रकाश जैसे अन्धकार को वेध देता है, उसी प्रकार इस महापुरुषने वैभव की दीवार को क्षणभर में नष्ट कर दी । इनका एक ही लक्ष्य था " सर्वे भवन्तु सुखिनः " इन्होंने अपने जीवनपुष्प को चढ़ा दिया और सफलता प्राप्त की । जैनधर्म की यही तो विशेषता है कि इस धर्म का महापुरुष कञ्चन और कामिनी के सामने कभी नहीं झुका । I जैनधर्म में जिनको महापुरुष की उपाधी दी है वे अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु के नाम से पुकारे जाते हैं। एक भी उदाहरण ऐसा नहीं मिलेगा कि इन्होंने सांसारिक (प्रलोभन ) संबंधों के सामने शिर झुकाया हो । मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि सांसारिकता में आगे बढ़ जाना ही जिनका लक्ष्य है, वे कभी संसार को सुखी नहीं बना सकते । जहाँ मनुष्य की उच्च त्याग की इच्छा मनसा, वाचा, कर्मणा प्रकारेण कार्यरूप में परिणत हो जाती है, वहीं जैनधर्मने उसे महापुरुष मान लिया है। कहने का तात्पर्य यह है कि त्याग का ही अपर नाम जैनत्व है । जैन का अर्थ है ' जयतीति जिनः जिनस्योपासका ः जैनाः ' या जो रागद्वेष को जीते वह जिन और जिन का उपासक सो जैन । ( १८ )
SR No.012068
Book TitleRajendrasuri Smarak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year1957
Total Pages986
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
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